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सबकी भलाई,वरना इंतज़ार कब तक… ?

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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आने वाला समय अपने अंदर कितने आश्चर्य, कितने अचम्भे समेटे हुए है,किसी को पता नहीं। कोई पक्का नहीं बता सकता कि आगे क्या होगा ?,लेकिन फिर भी हम सब अपना भविष्य संवारने के लिए काम करते हैं। इस भागती-दौड़ती जिंदगी में जहाँ किसी को भी किसी से बात करने की फुर्सत नहीं होती थी, सब लोग बस भाग रहे थे एक अनजानी दौड़ में। कोई काम के लिए भाग रहा था तो कोई काम से भाग रहा था,किसी को दिखावा करना था तो किसी को सब छुपा के रखना था,कोई पढ़ रहा था तो कोई लड़ रहा था, कोई कमा रहा था तो कोई उड़ा रहा था आदि ऐसा ही बहुत कुछ। सोमवार से शुक्रवार तक काम और फिर शनिवार या रविवार को शॉपिंग मॉल जाना,सिनेमा देखना,बाहर खाना,खरीददारी करना,पार्टी करना आदि सब-कुछ एक आम आदमी की जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका था। ऐसे में एक छोटे से अदृश्य विषाणु ने हमारी दुनिया में कदम रखा और हम सब इस अनजान दुश्मन की गिरफ्त में आ गए। किसी को कुछ नहीं पता चला। पहले चीन में शुरू हुआ ‘कोरोना’ का कहर तो हमें ख़बरें मिलीं,पर हमें नहीं हो सकता,चीन हमसे दूर है,यह विषाणु हम तक नहीं पहुँच सकता आदि जैसे विश्वासों ने हमें कबूतर की तरह आँखें बंद करने पर मजबूर कर दिया और नतीजा सबके सामने है। आज हमारे देश में भी इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं। दिन प्रति-दिन हमें मरीजों की संख्या बढ़ती हुई नज़र आती है,लेकिन ऐसी विषम परिस्थितियों में भी हमारी हालत बुरी तो है,मगर नियंत्रित की जा सकने वाली स्थिति में है |
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि,कोरोना से बचाव का कोई टीका अभी तक नहीं बना है। इसकी रोकथाम ही इसका बचाव है। इसे बढ़ने से रोकना है तो इसका एक ही उपाय है कि सामाजिक कहलाए जाने वाले प्राणी ‘मनुष्य’ असामाजिक बन जाएं। सबसे दूरी बना लें,लेकिन कितनी अजीब बात है, ’इंसान को जिस काम के लिए मना किया जाता है वह वही काम करने के लिए बेचैन हो जाता है।’ ऐसी ही हालत है सबकी। हर तरफ़ अपनी दुनिया में डूबे रहने वाले लोग,सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले लोग घर पर बैठ कर इंतज़ार कर रहे हैं कब ये ‘तालाबंदी’ ख़तम हो और वे बाहर जाएँ।
आजकल हर तरफ चुप्पी छाई हुई है,हर पल ऐसा लगता है,‘क्या हुआ,क्या होगा ?’ हम सब अलग-अलग प्रकार की दुविधा में फंसे हुए हैं। तरह-तरह के विचार-विमर्श हो रहे हैं। हर वर्ग की अपनी परेशानियाँ हैं। आज जब व्यापारी दुविधा में है कि काम कैसे चलेगा,हो रहे नुकसान की भरपाई कैसे होगी ? तो वहीं नौकरीपेशा लोग थोड़े संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं, ‘चलो,तनख्वाह तो आएगी ही।’ जिन लोगों ने ऋण ले रखा है,अब तो बैंक से उन्हें भी राहत मिल रही है। कलाकार,अभिनेता,अभियंता, वकील,चालक,पायलट आदि सब घर पर हैं, किसी का कोई काम नहीं हो रहा। निम्नवर्गीय या मजदूर तबके की अपनी परेशानियाँ हैं, उनका काम तो एकदम ही बंद हो गया। उनका जीवन-यापन तो रोज़ होने वाले कमाई से ही होता था,अब वे क्या करें ? उनके पास न तो कोई काम है,और न ही कोई आमदनी का जरिया। छोटी कक्षा से लेकर बड़ी कक्षा तक के विद्यार्थी,चाहे वे विद्यालय के हों या महाविद्यालय के,अब सबकी पढाई अंतरजाल (इंटरनेट) के माध्यम से ही करवाई जा रही है। किताबें,लिखित कार्य,व्याख्यान, अभ्यास पत्रिका आदि सब-कुछ सॉफ्ट प्रति में बदल गया है। तालाबंदी की स्थिति में लोगों का सिर्फ घर से बाहर आना-जाना सीमित हुआ है,लेकिन काम चल रहे हैं, ‘आदमी काम पर है’,हर घर में एक जैसी स्थिति है।
इस काम-काजी आदमी और औरतों के बीच हम गृहिणी की भूमिका को कैसे भूल सकते हैं ? सबके काम आसान हुए या कम हुए,पर एक आम गृहिणी का कार्य भार बढ़ गया है। घर के छोटे-बड़े सदस्यों के जाने के बाद, घर के काम से निपट कर वह भी थोड़ा समय अपने लिए निकाल लेती थी,पर अब उसकी दिनचर्या में सबसे बड़ा बदलाव आया है। घर के कुछ कामों में घरेलू सहायिकाओं (बाई या नौकरानी) की मदद मिल जाती थी,पर आजकल सबका आना-जाना बंद है तो सहायिकाएं भी काम पर नहीं जा रहीं हैं। ऐसे में घर के हर छोटे-बड़े कार्य की ज़िम्मेदारी गृहिणी पर ही आ गई है जिसमें बर्तन मांजने से लेकर खाना बनाने तक जैसे कामों के अतिरिक्त कई बार चाय-नाश्ता बनाना,सफ़ाई करना आदि एवं कुछ नए काम भी जुड़ गए हैं। हर कोई व्यस्त है। कुछ काम की अधिकता से परेशान हैं,तो कोई काम की कमी से,पर घूम-फिर के सबकी सुई एक ही जगह आ जाती है, ‘ऐसा कब तक ?’ किंतु उत्तर किसी के पास नहीं है। कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता,कोई सुनिश्चित नहीं कर सकता। यह स्थिति किसी एक के साथ नहीं है,बल्कि सबके साथ है तो हम सबको मिल कर ही इसे सुधारना होगा। हालात हमारे वश में नहीं है,किंतु कुछ चीजें अभी भी हमारे वश में हैं। अगर हम कुछ बातों का ध्यान रखें और सरकार तथा स्वास्थ्य संबंधी सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन करें,तो हम काफ़ी हद तक इस बीमारी को फैलने से रोककर हरा सकते हैं। यदि ऐसा न किया गया तो यह दुविधा बढ़ती
जाएगी और हमारा प्रश्न यक्ष प्रश्न बन जाएगा -‘इंतज़ार कब तक…?’

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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