कुल पृष्ठ दर्शन : 232

You are currently viewing जब परसती थी माँ खाना

जब परसती थी माँ खाना

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

*********************************************************

जब परसती थी माँ खाना…
थाली-थाली को ले झड़प हो जाया करती थी।
देख नोंक-झोंक माँ हमारी,
कुछ आड़ी तिरछी-सी भौं…
उनकी चढ़ जाया करती थी।
हो जाता था जब आपे से बाहर,
सीधे हाथ की हौले लपक से…
कान तुरंत भैया का ऐंठ जाया करता था।
देख होता था दु:ख थोड़ा,
मगर आनंद बड़ा आया करता था।
मन ही मन मुस्कुरा तो,
हम लिया करते थे मगर
आँखों की घुड़की और धमकी से,
अपने प्राण सूख जाता करते थे।
छोटे थे जरूर,लेकिन बुद्धू तो हम भी न थे,
चढ़ा बाजू कुर्ते की कोहनी तक,
दे दिया करते हवाला हम भी-
‘आने दो पापा को,
शिकायत कर देंगे तुम्हारी सच्ची…’
सुनते ही पापा का नाम,
फीके पड़ जाते थे भैया के सारे दाँव।
फिर अचानक,
दोनों के चेहरे पर एक भीनी-सी
मुस्कान उभर आया करती थी,
देख थाली में परसा खाना।
फिर कहां-कुछ याद रह जाता था,
जब परसती थी माँ खाना…॥

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैL जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैL श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैL महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैL रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंL हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंL आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैL यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैL

Leave a Reply