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कब तेरा आना होगा…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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कब से तेरी राहों में बैठी इन्तजार करती हूँ,
बैठे-बैठे तेरे दिए खत को ही पढ़ती रहती हूँ।

प्रेम पत्र में लिखा है इन्तजार नहीं करना होगा,
बीत चली है चाँदनी रात,कब तेरा आना होगा ?

प्रेम पत्र मैं जब-जब बाँचूं,तब मुझको आए रोना,
हृदय तल से मैं रोती हूँ,जैसे टूट गया खिलौना।

आ जाते यदि बलम तुम,डोली अपने संग लेकर,
चल पड़ती मैं तेरे संग,प्रेम की डोली में बैठकर।

सखियाँ भी सभी चली गई,अपने-अपने सासरा,
मैं नित्य चाँदनी रातों में,देखती रहती तेरा आसरा।

सावन बीता-बीता कुंवार,आ गया होली का त्योहार,
होली मे आ जाते पिया,आती मन में खुशी अपार।

चंदा जैसा है रूप तुम्हारा,कभी भी नहीं मैं भूलती हूँ,
साँसों के हर क्षण में,नित्य तुमको याद करती हूँ।

रात चाँदनी जुगनू भी पूछे,कहो देव क्यों जागती हो,
बाग में तितली-भंवरा पूछे,राह में किसको ताकती हो ?

माली आवत देख के,चुपके से मैं बागों में छुप जाती,
कोयल मोर पपीहा पूछे,काहे तुम ऐसे छुप जाती।

अँखियाँ अब थक गई मेरी,तेरी राहों को निहारते,
तेरे प्रेम पत्र के उस पन्ने को,थक गई मैं संभालते॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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