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नारी दहन

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’
भंगवा(उत्तरप्रदेश)
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एक महिला,
घेरे चार दरिंदे
सहायता के नाम पर
बलात्कार,
उभरी होगीं अनगिनत चीखें,
मर्माहत पुकार…
लेकिन दरिंदों के समक्ष
सब अप्रभावी बेकार,
अमानवीयता का
चर्मोत्कर्ष,
मानवता तार-तार।
शरीर पर अनगिनत
घाव,
खुद को बचाने का
संघर्ष,
कुकृत्य के बाद
बीच सड़क किया
आग के हवाले।
क्या इससे भी कुछ
और होता है
जघन्य नहीं,ये तो
जघन्यतम है,
अतएव इनकी
सजा भी मौत से,
बढ़ कर कुछ और
होनी चाहिए,
कुछ आप ही
बताइए।
अब जो भी,
इनके पक्ष में आये
उसे समाज सजा दे,
अन्यथा
ऐसे ही निर्भयाएं,
प्रियंकाएं
बीच चौराहे लूटी-फूंकी
जाएंगी।
हम-आप मोमबत्ती
ही जलाएंगे,
अंधा-बहरा-गूंगा
कानून व सरकारें,
लूट में ही मदमस्त
रहेंगी,
हमारी बेटियाँ यूँ ही
लुटती-जलती
रहेगी॥

परिचय-गंगाप्रसाद पांडेय का उपनाम-भावुक है। इनकी जन्म तारीख २९ अक्टूबर १९५९ एवं जन्म स्थान- समनाभार(जिला सुल्तानपुर-उ.प्र.)है। वर्तमान और स्थाई पता जिला प्रतापगढ़(उ.प्र.)है। शहर भंगवा(प्रतापगढ़) वासी श्री पांडेय की शिक्षा-बी.एस-सी.,बी.एड.और एम.ए. (इतिहास)है। आपका कार्यक्षेत्र-दवा व्यवसाय है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त प्राकृतिक आपदा-विपदा में बढ़-चढ़कर जन सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-हाइकु और अतुकांत विधा की कविताएं हैं। प्रकाशन में-‘कस्तूरी की तलाश'(विश्व का प्रथम रेंगा संग्रह) आ चुकी है। अन्य प्रकाशन में ‘हाइकु-मंजूषा’ राष्ट्रीय संकलन में २० हाइकु चयनित एवं प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय ज्वलंत समस्याओं को उजागर करना एवं उनके निराकरण की तलाश सहित रूढ़ियों का विरोध करना है। 

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