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कस्तूरबा गांधी पर डाॅ.जोशी ने लिखा शोध ग्रंथ,डेढ शती वर्ष में होगा प्रकाशन

उज्जैन।

११ अप्रैल १८६९ को जन्मी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का यह डेढ़ सौवां जन्मशती वर्ष है,जो ११ अप्रैल से आरंभ होकर १० अप्रैल २०२० तक चलेगा। इस दौरान उन्हें समारोह पूर्वक याद करके उनके योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक प्रयास उज्जैन के वरिष्ठ लेखक-पत्रकार डाॅ.देवेन्द्र जोशी ने कस्तूरबा गांधी पर शोध ग्रंथ लिखकर किया है। इसका कस्तूरबा डेढ़ शती वर्ष में अगले माह प्रकाशन होने जा रहा है।
डाॅ.जोशी ने बताया कि,विगत कई वर्षों से वे इस पर शोध कर रहे थे,जो अब पूर्ण होकर पुस्तकाकार रूप में सामने आ रहा है। इस शोध हेतु कस्तूरबा गांधी पर मौलिक और प्रमाणिक जानकारी संकलन हेतु डाॅ. जोशी को बिहार,पश्चिम बंगाल,उड़ीसा,महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश,कर्नाटक, दिल्ली,मध्य प्रदेश सहित करीब १० राज्यों की हजारों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी है। अत्यंत परिश्रमपूवक जुटाई गई जानकारी के आधार पर रचे गए इस रोचक और पठनीय शोध ग्रंथ में डाॅ.जोशी ने कस्तूरबा गांधी के जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया है।
शोध ग्रंथ के २५ अध्याय में कस्तूरबा गांधी के जीवन की सम्पूर्ण दास्तान संजोई गई है। पत्नी,माँ,स्वतंत्रता सेनानी,जेल कैदी,बालिका वधू,गांधी जी की हमसफर,सहनशीलता की मूरत,भारतीय नारी,आज्ञाकारी पत्नी और पति की छाया आदि रूपों में कस्तूरबा गांधी की भूमिका पर ग्रंथ में विस्तार से प्रकाश डाला गया है। कस्तूरबा गांधी पर बहुत कम लिखा गया है,इसलिए डाॅ.जोशी का यह प्रयास उपयोगी एवं जानकारीवर्धक है। गांधी जी को महात्मा बनाने में कस्तूरबा के योगदान के बारे में कम ही लोगों को पता है,जिसे इस ग्रंथ में बताया गया है। गांधी जी ने खुद अपनी आत्मकथा में लिखा है कि यदि कस्तूरबा ने न सम्हाला होता तो राष्ट्रपिता और महात्मा बनना तो दूर,मैं पूरी उम्र जिन्दा भी नहीं रह पाताl और समय से पहले ही मर जाता।
महात्मा गांधी पर महाकाव्य लिख चुके डाॅ.जोशी इससे पूर्व सिंहस्थ और उज्जैन पर भी एक वृहद ग्रंथ लिख चुके हैं। आज के डिजिटलाइजेशन और इन्टरनेट के युग में अपने महापुरूषों और उनके आदर्शों से दूर होती जा रही आज की नई पीढी में राष्ट्रीय चेतना जगाने के उद्देश्य से रचित इस शोध ग्रंथ का प्रकाशन अगले माह होने जा रहा है।

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