जीवन का आनंद

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** छोटी-छोटी बातों को,हृदय से सत्कार करेंजीवन में आनन्द की,खूबसूरत बरसात करें। नन्हीं दुनिया नन्हा काल,सबसे हम उत्साह भरेंपल-पल की खुशियाँ पाकर,सबमें हम विस्तार करें। जीवन में छोटी-छोटी चीजों का,भरपूर…

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याद

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** फिर सारी वो याद पुरानी,आँखों के आगे आ छायींकुछ मीठी-सी कुछ तीखी-सी,बूँदें आँखों में भर आयीं। मधुर बहुत थे वे पल कितने,जब थे हम सब छोटे से बच्चेपाप-पुण्य…

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योग समझो साधना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** योग न केवल व्यायाम समझ,प्राणायाम साथ साधना समझोनवचिन्तना, नवसर्जना यह,समत्व की नित योजना समझो। स्वस्थ तन में होते शुद्ध विचार तब,योग इसका आधार समझो।ऊर्जस्विता…

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जीना मुश्किल

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** सत्य को सत्य कहना मुश्किल हो गया है,अब तन्हाई में जीना मुश्किल हो गया है। रवैया देखा है जब से लोगों का हमने,साथ में रहना मुश्किल हो…

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हरदम सच ही कहना

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* झूठ नहीं रत्तीभर गहना।सच को हरदम सच ही कहना। क़ैद नहीं अब हरगिज़ रहना।साफ हवा-सा हर सू बहना। अपनी बातें खुल कर कहना।व्यर्थ नहीं…

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सावन का आगाज

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उमड़-घुमड़ कर आये बदरा दादुर करते शोर,दम-दम दमक रही दामिनियाँ नाच उठा मन मोर।कि सावन आया है, ये मन हर्षाया है॥ घन-घन गरजे कारी बदरिया बिजुरी…

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हरि दर्शन कित पाऊँ

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मन वैरागी सोच रहा है,हरि दर्शन कित पाऊँहाथ रखूं क्या मैं इकतारा,या खड़ताल बजाऊँ…। भगवा धोती पहन मिलेगा,या कंठी मैं धारूँमिले दुखीजन सेवा कर या,साधु बता क्या…

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गुनगुनाती रही रात भर

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** शामे ग़म जगमगाती रही रात भर।वो ग़ज़ल गुनगुनाती रही रात भर। छत पे वो झिलमिलाती रही रात भर।दिल मिरा गुदगुदाती रही रात भर। उसकी वादाख़िलाफ़ी मुझे…

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बादल भी क्या करे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बैठा है कब से प्यासा वो,स्वाति के आसरे।चातक के स्वाभिमान का, बादल भी क्या करे॥ जिसने भरे जलाशय,जिसने भरे समन्दरपर्वत की चोटियों से,जिसने बहाये निर्झर।सोचे वही कि कैसे…

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मुस्कानों को जब बाँटोगे…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ख़्वाबों में जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।मुस्कानों को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर,जो देता है सम्बलपेट है…

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