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धरती का स्पंदन लिख

रश्मि लहर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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माथ ढूॅंढता चंदन लिख।
करे तिरंगा वंदन लिख॥

पगडंडी की सिसकी पढ़।
बाट जोहती विरहन लिख॥

प्रेम अपरिमित अनगढ़ है।
कृष्ण-राधिका बंधन लिख॥

जीवन-नेत्र छलकते हैं।
मत सपनों का कम्पन लिख॥

भीड़ ढूॅंढता बचपन है।
ऑंसू की भी थिरकन लिख॥

पथराई सुधियाॅं सहमी।
ऑंखें झरती सावन लिख॥

जो शहीद बनकर लौटा।
उस माता का क्रंदन लिख॥

सब जय हिंद जवान कहें।
तू धरती का स्पंदन लिख॥