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रोजी-रोटी-मकान

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’ 
पटना(बिहार)

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खुद पे ऐतबार का,
चंद सवालों का
झमेला यहाँ,
वक्त-वक्त का मेला रे।

रोजी-रोटी-मकान,
का यहाँ झमेला रे।

भूख की जात नहीं,
रोजी-रोटी की बात नहीं
नंगे पांव चलते-चलते,
छाले का झमेला रे।

तन ढका नहीं,
मन पढ़ा नहीं
कह दिया नंगा रे,
बात-बात का झमेला रे।

सर्दी-गर्मी-बरसात,
छत की न पूरी आस
ठिठुर-ठिठुर कर,
आग से बसर कर
होता सवेरा रे,
आशा-निराशा का झमेला रे।

अब तो रोजी-रोटी,
सबके घर वो भी नहीं
दिन चढ़े रात ढले,
मेहनतकश इंसान कहे-
काम का झमेला रे,
काम का झमेला रे॥

परिचय-आशुतोष कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘आशुतोष’ हैl जन्म ३० अक्तूबर १९७३ को किशुनपुर(पलामू) में हुआ हैl वर्तमान में पटना(बिहार)में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा किशुनपुर(जिला-पलामू, झारखण्ड)हैl इनकी शिक्षा-आनर्स (अर्थशास्त्र)हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(पटना)हैl इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल हैl इनको हिन्दी, मैथिली,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा का हैl प्रकाशन के अंतर्गत ४० कविता प्रकाशित हो चुकी हैl कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl कम्प्यूटर-टीवी मैकेनिक श्री झा की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक जागृति हैl आपकी रुचि-खेल,संगीत तथा कविता लिखना हैl

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