एल.सी.जैदिया ‘जैदि’
बीकानेर (राजस्थान)
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आईना था, टूट कर जो बिखर गया,
पता नही, कतरा-कतरा किधर गया।
सदा सच दिखाया हयात का हमको,
किस दशा में है, न देकर खबर गया।
रहा सच बोलता उम्र भर हमारे लिए,
छोड़ के साथ, अकेला हमें कर गया।
हर पल याद आती तन्हाई में उसकी,
दिल में इतना, रह उसका असर गया।
जहाँ भी रहा लोहा मना लिया अपना,
बिन देखे रहा न कोई, वो जिधर गया।
मुहब्बत नापाक उसकी, ‘जैदि’ न हुई,
न जाने क्यूँ बीच, छोड़ कर सफर गया॥