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आम

हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’
प्रयाग(उत्तरप्रदेश)

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भोर सुहानी
कोयल है कूजती,
बहती शीतल बयार
आयी आम की बहार।

रसाल फल तो है राजा
जिसके बड़े भाग वही चाखा,
खट्टेपन से लड़कर
जीता है वह वर्ष भर।

फूल से फल बनने तक
मंजरियाँ है महकती जब,
तब ऋतु परिवर्तन होती है
मधुमक्खी मीठा मधु ढोती है।

यह समय का ताप
आम को बना देता है खास,
बाग-बाग फिर रस पान
आम आम आदमी की जान।

सुर्ख हरे-रंग से गहरा पीला
हो जाता है आम पककर ढीला,
कई तरह के बनाता है उत्पाद किसान
आम एक श्रेष्ठ फल है,भारत की शान॥

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