डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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वीरान जंगल,
अनजाने रास्ते
लंबा सफर और,
गीत सूफियाना
गर तुम न होते तो
कैसे हो मौसम सुहाना।
ये सुहानी राहें,
जहाँ मिले थे हम
आज भी बाँहें फैलाए
आलिंगन करे, कहे थम,
तेरे गीतों की सरगम
मुझे बुलाए हरदम।
ये रंगीन समां,
महका दे जीवन
फिज़ा हो जाए रूमानी,
जब तुम साथ हो ओ मेरे हमदम।
अनन्त प्रेम का ये सफर,
मिलकर दूर करेंगे सारे गम॥