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कब खिलेगा बचपन ?

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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बचपन जिंदगी का,
सबसे उज्जवल उपहार है
मस्ती और धमाल मचाने का,
सबसे बड़ा संस्कार है।

संस्कारों को सींचने से,
खिलता है बचपन
उपवन में खुशहाली,
दिखता है जैसे सुन्दर स्वप्न।

बचपन से लालन-पालन में,
संस्कारों की महती भूमिका है
हिंसा और विद्रोही स्वर में,
नहीं जगती शीतलता है।

प्रवृत्ति की वजह सही और,
बिल्कुल सटीक होनी चाहिए
संवेदनाओं की लहर,
गहरी होनी चाहिए।

प्रकृति की गोद में शिक्षा,
सात्विक आहार है
सुखद पारिवारिक परिवेश में,
मिलती खुशियाँ हजार है।

जीवन शैली में हिंसा का,
अब खत्म हो संसार
दिल से कुछ कहना चाहिए,
जिसमें मिलें खुशियाँ अपार।

आओ हम सब मिलकर,
यहां बचपन को दें उन्नत व्यवहार।
जिंदगी में सदैव खुशहाली लाने का,
बचपन है सबसे पवित्र व अक्षय संसार॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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