कुल पृष्ठ दर्शन : 285

You are currently viewing गलतियाँ लाज़मी है

गलतियाँ लाज़मी है

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

गुलजार नये मयखाने के, पीछे इक मंदिर पुराना है,
मंजर बतलाने का मक़सद, नशे से तुमको जगाना है।
जंग बनी गुलजार जिंदगी, आ चल दें पीछे वीराने में-
रख छोड़ा वहाँ पे किसी ने, बुत कदम हसीं नज़राना है॥

जिस्म हुश्न रंगत-ओ-शबाब, जल खाक हवा हो जाना है,
इनके गुरुर पे उड़ते हम ये, नामों-निशाँ मिट जाना है।
इल्म हुनर ऐमाल मुक़द्दस, सीरत की जीनत दौलत को-
नजरअंदाज करे जमाना, बस सूरत का दीवाना है॥

इश्क़ मुहब्बत खाली छलावा, मक़सद तक ये तराना है,
खुदगर्ज़ी वाले आलम में, नेकी मतलब बहलाना है।
इंसानों में फ़र्क न जाने, देखो इनकी झूठ परस्ती-
इक-इक अदा पे सदके जाते, सोच के ये तो जनाना है॥

चश्में दीद हो भी तो कैसे, दोस्त सा आगे खजाना है,
दिल डाला रंजिश के पर्दे, जाहिल वाला जो काना है।
बैठे मसर्रत के लुटेरे धोखेबाज लगाये मज़मा-
दूर रहो उस ज़ालिमपन से, दिल को भी ज़रा बचाना है॥
(इक दृष्टि इधर भी:मसर्रत=खुशियाँ, एमाल=कर्म, मुक़द्दस=पवित्र)

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply