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जीवन की कड़वी सच्चाई

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥
अल-सुबह दुनिया जग जाती,
चैन भले आती न आती।
रात भले ढल भी जाए तो,
दुनिया इक पल न सोती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

सुर्ख दोपहर हाय पसीना,
श्रमिक को तप कर है जलना।
थक कर जो रुक गया वह तो,
बैरन भूख शांत कब होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

अंधियारे में चोर तो भागे,
पीछे पुलिस चोर भी आगे।
सही-गलत के खेल में भी,
दोनों की ये ही मनौती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

हुआ प्रभात अब सूरज दिखता,
पर भूखे का सब कुछ बिकता।
आस-पास के सब जन देखे,
हाय! भूख कैसी होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

जीव-जीव का जीवन हरता,
इतने पर भी पेट न भरता।
यह उदर की आग भला क्यों,
जीवन पर भारी होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

कुर्सी जब-जब रिश्वत मांगे,
गरजीला ईमान को टांगे।
टेक के घुटने हाथ को बांधे,
करे प्रार्थना रोती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

देवकी अपने सुत को बेचे,
माँ यशोदा क्यों उसे खरीदे।
ममता ही ममता की देखो,
क्यों तब दुश्मन होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

गरीब अंधियारा हिस्से पाए,
अमीर रोशनी जगमग लुटाए।
धनिक और धन ही धन पाए,
दीन के यही पनौती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

‘रम्भा’ अपने तन को बेचे,
मनु संतति फिर क्यों ऐंठे।
शासक तो फिर भी न समझे,
नारी में हया कब सोती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

छोटे ललना हाथ पसारे,
देते दुआएं वारे-न्यारे।
हाय रे! फिर भी उनकी किस्मत,
क्यों आकुल न होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

खाली हाथ को काम नहीं हैं,
काम को भी तो दाम नहीं है।
दाम भले मिल भी जाएं तो,
महंगाई कर दे कटौती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

दानव दुनिया पर आज छा गए,
बम्ब बन्दूकें उन्हें भा गए।
जीवित इस जग के जीवन की ,
करे क्यों कर कटौती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

भूखे भजन न होत गोपाला,
कहे भक्त लेकर कर-ताला।
भक्त और भगवान बीच भी,
यही अजगर बन सोती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

गुरु-दक्षिणा गुरु जब मांगे,
शिष्य हाथ अपने अंगूठा काटे।
गुरु और शिष्य के आगे भी,
ये नतमस्तक न होती है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥

आगे यह इठला कर चलती,
पीछे इसके दुनिया मचलती।
जन्म से मरण के पथ तक,
बस रोटी ही रोटी है॥
जीवन की कड़वी सच्चाई…
जीवन जीना पार उतरना ,
ये भी एक कसौटी है।
जीवन की कड़वी सच्चाई,
जग में मित्रों रोटी है॥
(इक दृष्टि यहाँ भी :देवकी=पैदा करने वाली माँ,रम्भा =रूपाजीवा,छोटे ललना=बाल भिखारी,दानव=आतंकी)

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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