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जीवन

तेजस अशोक राजपुरे
नवी मुंबई(महाराष्ट्र) 
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जीवन में हम कई बार चीजों के लिए हमारा कीमती समय व्यर्थ कर देते हैं । हम कुछ पाने की आशा में,जो है उसे खो देते हैं,पर यही तो जीवन का आधार है-
‘कुछ पा कर खोना है,
कुछ खो कर पाना है।’
हम अगर जो चीज है,उसी में गुजारा कर लें तो विकास कभी नहीं होगा,क्योंकि विकास की शुरुआत किसी चीज को पाने की आशा से होती है, किन्तु इसका ये मतलब नहीं कि हम लोगों को दुःख देकर खुद ख़ुशी ढूंढें। हमारे जीवन का सार इस वाक्य में है-‘जियो और जीने दो।’
हमारे चले जाने के बाद इस दुनिया में हमारा ऐसा कुछ रहता है तो वह हमारे अच्छे कर्म और हमारी निशानी। लोग हमें याद करें ये काफी नहीं है। लोग हमें अपने अच्छे कर्मों के लिए याद करें,यह लक्ष्य होना चाहिए।
‘जीवित तो हर कोई होता है,पर
उस जीवन को जीना हमारे हाथ में होता है।’
जीवन में प्रेम का महत्व बहुत है। प्यार (प्रेम)
की व्याख्या अब थोड़ी बदल-सी गयी है,पर सार्थक जीवन के लिए-
‘प्रेम करो-अपने आप से,
प्रेम करो-अपने माँ-बाप से,
प्रेम करो-अपने सपनों से,
और प्रेम करो अपने अपनों से।’
जो मनुष्य अपने सपनों को साकार करने में अपना जीवन समर्पित करता है,उसका जीवन सार्थक हो जाता है।
जीवन सबका एक सामान ही होता है,पर सिर्फ जीने का तरीका अलग होता है। आखिर में जीवन को जीना अपने बस में है।
जीवन है जीना,पर सिर्फ अपने सपनों के लिए।

परिचय:तेजस अशोक राजपुरे की जन्म तारीख १२ मई २००३ तथा सांगवी खुर्द.भोर (पुणे,महाराष्ट्र )  है। वर्तमान में निवास कोपरखैरणे (नवी मुंबई,महाराष्ट्र) में है। महाराष्ट्र राज्य के तेजस राजपुरे फिलहाल छात्र के रुप में विद्यालय(नवी मुंबई) में अध्ययनरत हैं। इनको प्राप्त सम्म्मान में वर्ष २०१७-१८ में रोटरी क्लब की नाटक स्पर्धा में द्वितीय स्थान,हिंदी वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम और शाला स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैंI इनकी लेखनी का उद्देश्य लेखन का शौक होने के नाते अपनी कृतियों को सभी के समक्ष प्रस्तुत कर लेखन में नवनिखार की इच्छा है I

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