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दीप्तियुक्त चंद्रघण्टा

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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माँ के द्वारे बाजे घंटा,
तीजी शक्ति चंद्रघण्टा
शीश साजे अर्धचंद्र,
छवि उर समाए।

स्वर्ण आभा है निराली,
माई दस हाथ वाली
शेर की सवारी करें,
दुष्ट दल हराए।

भक्त पहने हरा रंग,
चढ़ावे कमल संग
शस्त्र धारे चंद्रघण्टा,
चण्डध्वनि बजाए।

देती स्वर माधुर्यता,
वीरता दें निर्भयता
दिव्य वस्तुएं देंगी माँ,
सद्गति दें मुस्काए।

पाप बाधाएं विनष्ट,
हरती सकल कष्ट
परमपद की दात्री,
चलो शीश झुकाए॥