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धारदार ग़ज़लों के बादशाह हैं प्रेमकिरण-सिद्धेश्वर जी

सम्मेलन….

पटना (बिहार)।

ग़ज़ल कहने वाले यह बात अपने मन से उतार दें कि, हिंदी कवियों की महफिल में, हिंदी या उर्दू ग़ज़ल कहने वाले शायरों का अकाल है। आश्चर्य होता है कि जहां मंच पर एक मुकम्मल शायर अपनी मुकम्मल ग़ज़ल से श्रोताओं का दिल जीत नहीं पाता है, वहां पर ग़ज़ल की बारीकी को ना समझते हुए भी कोई अपनी ग़ज़ल कहने के अंदाज और जीवंत अभिव्यक्ति की बदौलत श्रोताओं की खूब तालियां बटोर लेता है। उनकी बात आम जन तक आसानी से पहुंच जाती है। साहित्य सृजन का यही तो उद्देश्य है। जीवंत और धारदार उर्दू ग़ज़ल के बादशाह हैं प्रेमकिरण!
आभासी माध्यम से कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए। प्रेमकिरण की काव्य कृति ‘तिलिस्म टूटेगा’ पर विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि, यदि प्रेमकिरण को उर्दू ग़ज़ल के प्रति अथाह प्रेम है और उर्दू का अधिकाधिक व बेहतर प्रयोग किया जा रहा है तो फिर क्यों न कहा जाए कि जीवंत और धारदार उर्दू ग़ज़ल के बादशाह हैं प्रेमकिरण!
मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर प्रेमकिरण ने कहा कि, ग़ज़ल को कविता के चश्मे से ना देखें। शेर कहना बहुत आसान है लेकिन खूबसूरत शेर कहना बहुत कठिन है। इसके लिए अनुभूतियों के गहरे समुंदरों को खंगालना पड़ता है, तभी कोई आबदार मोती हाथ लगता है। सारी विधाओं में हर रोज कुछ ना कुछ नए प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन ग़ज़ल की एक सीमा है और वह है छंदबद्धता। कविता आज सपाटबयानी होकर पाठकों से दूर हो रही है।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शायरा डॉ. मंजू सक्सेना ने कहा कि, किसी भी विधा पर लिखने से पहले उस विधा का व्याकरण जानना अति आवश्यक है। ग़ज़ल लफ़्ज़ ही शहद जैसा मीठा है, फूल जैसा नाज़ुक है तो तलवार जैसा धारदार भी है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद
की सचिव ऋचा वर्मा ने बताया कि,

सम्मेलन के दूसरे सत्र में प्रेमकिरण ने- उसके हिस्से ही में सोने के निवाले क्यों है, अपने हिस्से में फकत जहर के प्याले क्यों है ?, शेर सुनाया तो डॉ. सक्सेना ने -कैसे कह दें खुदा नहीं मिलता, ढूंढिए गर तो क्या नहीं मिलता ?, सिद्धेश्वर ने ‘जख्म देकर दवा भी देती हो ? ख़ुद को ऐसे मज़ा भी देती हो ? और विजय कुमारी मौर्य ‘विजय’ ने ‘जिंदगी में किसी का सहारा ना देखा, तभी मुड़ के हमने दोबारा ना देखा!’ पंक्ति सुनाई। सपना चंद्रा, हजारी सिंह, इंदु उपाध्याय, कालजयी घनश्याम और राज प्रिया रानी आदि ने भी उम्दा ग़ज़लों, शायरी और गीतों को प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया।

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