बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प:विधान-११२१२ ११२१२ ११,२१२ ११२१२ १६,१२ मात्रा पर यति,चार चरणों का एक छंद,चारों चरण सम तुकांत)
लगि चैत माह मने नया सन,
सम्वती मय हर्ष है।
फसले पकें खलिहान हो,
तब ही सखे नव वर्ष है।
परिणाम की,जब आस में बटु,
धारता उतकर्ष है।
मम कामना मनभावना यह,
पर्व हो प्रतिवर्ष है।
नव वर्ष हो शुभ आपको यह,
कामना मन में करें।
सबका सरे शुभ काम जो बस,
भावना मन में भरे।
कर लें धरा हित वीर पावन,
कर्म मानव धर्म रे।
अपना भला,जग का भला यह,
सोचना सब ही तरे।
वरदान दो भगवान जी जग,
शांति का अरमान हो।
मनु जात हो सब ही सुखी हर,
जीव का शुभ मान हो।
करतार हे प्रभु दीन मैं तुम,
दीन बंधु प्रमान हो।
मम अर्ज है,तव फर्ज है जन,
विश्व के,शुभ गान हो।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl