कुल पृष्ठ दर्शन : 138

पुस्तकों की सुखद अनुभूति का अलग महत्व

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
*****************************************************
मेरे द्वारा उपन्यास और सैकड़ों लेख लिखे गए हैं,और लिखे जा रहे हैं,पर अनुभव है कि,पुस्तकों की सुखद अनुभूति का अलग महत्व हैl एक दिन साक्षात्कार में यह प्रश्न पूछा गया कि,वर्तमान में ई-बुक का चलन है,और यह सुविधा बहुत सुविधाजनक है तो आप प्रकाशन पुस्तकाकार में क्यों कराते हैं,जबकि ई-बुक सस्ती और सुगम होती हैl इस पर मैंने व्यक्त किया कि,मेरे पिता जी की एक तस्वीर दीवार पर टंगी है,और मेरे पिता जी मेरे साथ बैठे हैंl दोनों स्थिति में कौन-सी स्थिति सुखद लगेगी ?
बात सिर्फ इतनी-सी है कि,जो जीवंत साथ बैठे हैं,उनसे हमारा संपर्क हैl उनसे हम अपने भाव व्यक्त करते हैंl इसी प्रकार हम अपने लेपटॉप,कम्प्यूटर और मोबाइल में अपन लिखा हुआ उपन्यास या अन्य कुछ रखते हैं तो उनका कितना प्रभाव पड़ता है,और अपनी भौतिक पुस्तक का कितना प्रभाव पड़ता है ?
किताबों के साथ पढ़ने से किताब से हमारा स्पर्श संपर्क से जो अहसास होता है,वह अनूठा होता हैl उसमें एक-एक पंक्ति पर ऊँगली रखकर,कभी विशेष पंक्ति लगाकर,बार-बार पढ़कर जो अनुभूति होती है,वह सुखद अनुभूति मोबाइल आदि में नहीं मिल सकती हैl किताब में हमें सन्दर्भ स्थायी रूप से मिलते हैं,कभी-कभी ये उपकरण दूषित होने पर उसमें रखी सम्पूर्ण मिट जाती है,और हम निराश होने लगते हैंl बिजली का न होना,कभी अंतरताना का न मिलना आदि अनेक समस्याओं से हमारी विषय पर चिंतन में एकाग्रता नहीं होती हैl
ये आधुनिक उपकरण लगभग २५ वर्षों से आये हैं,पर हमारे ग्रन्थ पुराण आदि आदि सैकड़ों वर्षों से हमारे पास धरोहर के रूप में हैं,और रहेंगेंl इनका अपना उपयोग है,पर जीवंत पुस्तकों का सन्दर्भ भी प्रामाणिक होता हैl कहना गलत नहीं होगा कि,आधुनिकता का अपना महत्व है,पर पुस्तकों का अपना महत्व हैl

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

Leave a Reply