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पूर्वोत्तर भारत में नारी की मजबूत स्थिति

वाणी बरठाकुर ‘विभा’
तेजपुर(असम)
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सदियों से नारी हमेशा चर्चा का विषय रही है, लेकिन नारी विहीन दुनिया की कल्पना भी नहीं हो सकती है। जैसे हमारे लिए दिन और रात दोनों ही आवश्यक हैं,वैसे ही पुरुष के साथ साथ नारी भी आवश्यक है। एक परिवार नारी से पूर्ण होता है। किसी ने सच कहा है-एक स्त्री को शिक्षित बनाओ तो एक परिवार शिक्षित होगा। भारतवर्ष के किसी-किसी राज्य में अभी भी स्त्री पर्दे के अंदर रहती है और स्त्री सम्पूर्ण रूप से पुरूषों पर भरोसा करके जीवन निर्वाह करती है। भारत में हम अभी भी दहेज मुक्त समाज नहीं गढ़ पाए हैं,लेकिन भारतवर्ष के पूर्वोत्तर राज्य में इसके विपरीत देखने को मिलता है। आइए जानते हैं भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में नारी की स्थिति-
वैदिक युगीन के पूर्वोत्तर राज्यों में नारी की स्थिति के बारे कोई तथ्य नहीं मिला है,फिर भी प्राचीन महाकाव्य महाभारत में प्रागज्योतिषपुर के बारे में उल्लेख है,जिसमें असम की नारी के बारे थोड़ा आभास मिलता है। ख्रीष्टीय पहली शतिका में एक दो नारियों के बारे में उल्लेख है लेकिन इतिहास में साधारण नारियों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है। असम में इन्दु मंगोलिया राजाओं ने राज किया था इसलिए भारतवर्ष की बाकी जगहों की तुलना में पूर्वोत्तर में नारी की स्थिति उन्नत थी। महाभारत में उल्लेखित हिडिम्बा और चित्रांगदा की स्थिति से पता चलता है कि पूर्वोत्तर की नारियों को राजनीति, समाज नीति,संस्कृति,अर्थनीति में पुरुषों के साथ-साथ स्थान लेने तथा काम करने में कोई बाधा नहीं थी। इसलिए पूर्वोत्तर का इतिहास सती तथा वीरांगनाओं की कहानी से भरा पड़ा है। कल्हड़ के राजतरंगिनी और चीन परिब्राजक के औ-कंग में कश्मीर की कहानी में असम कन्या कश्मीर में राजपात्रेश्वरी अमृतप्रभा का नाम उल्लेखित है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्य,जिन्हें सात बहनों के नाम से जाना जाता है जैसे-असम,अरुणाचल,नगालैंड, मणिपुर,त्रिपुरा,मिजोरम और मेघालय। आजकल सिक्किम को आठवीं बहन के रूप में जोड़ा गया है । सदियों से पूर्वोत्तर की स्त्रियाँ भी मर्दों के साथ-साथ चल रही हैं। इनमें से मेघालय राज्य स्त्री प्रधान है। इतिहास गवाह है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को बान राजा की बेटी उषा से मिलवाने के लिए चित्रलेखा अपहरण करके लायी थी। शिव जी के क्रोध से भस्मित कामदेव को पुनर्जीवित करने के लिए तपस्या द्वारा विवश करने वाली स्त्री रतिदेवी असम की थी। देश के लिए लराराजा से छिपाकर कभी भी मुँह न खोलकर मृत्यु जैसी यातनाएं सहकर पति का पता नहीं बताकर मरने वाली जयमती असम की ही नारी थी । सम्पूर्ण भारत के साथ साथ भारत को स्वाधीन करने के लिए प्राणाहुति देनेवाली पूर्वोत्तर राज्य की स्त्रियों के नाम भी बहुत ही शान से लिये जाते हैं। उनमें से असम की किशोरी कनकलता,अमलप्रभा दास, भोगेश्वरी फुकननी,पुष्पलता दास,चन्द्रप्रभा शइकीयानी प्रमुख हैं। ठीक वैसे ही मणिपुर की रानी गाइदिंल्यू स्वाधीनता आन्दोलन में पुरुषों के साथ-साथ कूद पड़ी थीं। मिजोरम की रोपइलियानी,मेघालय की राशि मनी हाजो,सिक्किम की हेलेन लेपसा आदि का नाम आज भी सुनहरे अक्षरों में लिखा है। तब भी हर क्षेत्र में नारी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही थी।
वर्तमान में भी एथलेटिक्स विश्व चैम्पियनशिप में असम की बेटी हिमा दास ने स्वर्ण एवं रजत पदक जीता है। फिल्मी दुनिया में ऑस्कर पुरस्कार के लिए असम की बेटी रीमा दास द्वारा बनाई गई फिल्म
‘विलेज रॉकस्टार’ नामांकित हुई है । पूर्वोत्तर की मेरी काॅम को बाक्सिंग के लिए दुनिया में न जानने वाले व्यक्ति कम ही हैं। देखा जाए तो पूर्वोत्तर भारत की स्त्रियाँ पुरुषों से किसी भी दिशा में कम नही हैं। आज नारी रूढ़ियों को धता बनाकर जमीं से लेकर अंतरिक्ष तक हर क्षेत्र में नित नई नजीर स्थापित कर रही है। अब नारी न केवल परिवार की देखभाल तथा रसोई में है,बल्कि इसके साथ साथ राजनीति,प्रशासन,समाज उद्योग,व्यवसाय,विज्ञान-प्रौद्योगिकी,मीडिया,साहित्य, संगीत,फिल्म,इंजीनियरिंग,वकालत,चिकित्सा,कला-संस्कृति,खेलकूद,शिक्षा,आई.टी, सैन्य से लेकर अंतरिक्ष तक छलांग लगाई है। आजकल पंचायतों में मिले आरक्षण का उपयोग करते हुए नारी जहाँ नए आयाम रच रही है,वहीं विधायिका,कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। आज लोकसभा की अध्यक्ष,विपक्ष की नेता, सत्ताधारी कांग्रेस की अध्यक्ष,सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका में भारत की राजदूत से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री के रूप में महिला पदासीन हैं तो यह नारी सशक्तिकरण का ही उदाहरण है। सभी से यही अनुरोध है कि नारी-पुरुषों में विभेदता न लाएं, बस मन में हर एक के लिए सम्मान करके सभी हाथों में हाथ देकर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें और दुनिया को सुन्दर और शक्तिशाली बनाएं।

परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम)है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘विभा’ है।  वर्तमान में शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम)में निवास है। स्थाई पता भी यही है। असम प्रदेश की विभा ने हिन्दी में स्नातकोत्तर,प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)की शिक्षा पाई है। इनका कार्यक्षेत्र-शिक्षिका (तेजपुर) का है। श्रीमती बरठाकुर की लेखन विधा-लेख,लघुकथा,काव्य,बाल कहानी,साक्षात्कार एवं एकांकी आदि है। प्रकाशन में आपके खाते में किताब-वर्णिका(एकल काव्य संग्रह) और ‘मनर जयेइ जय’ आ चुकी है। साझा काव्य संग्रह में-वृन्दा,आतुर शब्द तथा पूर्वोत्तर की काव्य यात्रा आदि हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में सक्रियता से छपती रहती हैं। सामाजिक-साहित्यिक कार्यक्रमों में इनकी  सक्रिय सहभागिता होती है। विशेष उपलब्धि-एकल प्रकाशन तथा बाल कहानी का असमिया अनुवाद है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-नूतन साहित्य कुञ्ज है। इनकी विशेषज्ञता चित्रकला में है। माँ सरस्वती की कृपा से आपको सारस्वत सम्मान (कलकत्ता),साहित्य त्रिवेणी(कोलकाता २०१६),सृजन सम्मान(पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी,तेजपुर २०१७), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग),बृजमोहन सैनी सम्मान (२०१८) एवं सरस्वती सम्मान(दिल्ली) आदि मिल चुके हैं। एक संस्था की अध्यक्ष संस्थापिका भी हैं। आपकी रुचि-साहित्य सृजन,चित्रकारी,वस्त्र आकल्पन में है। आप सदस्य और पदाधिकारी के रुप में कई साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष एक हो तथा एक भाषा के लोग दूसरी भाषा-संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इससे भारत के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है। 

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