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फाल्गुन आया

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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भूली-बिसरी यादें लेकर,
फिर से फाल्गुन आया है
रंग-बिरंगे फूलों के संग,
सबके मन को भाया है।

कोयल मोर पपीहा बोले,
तितली ने रंग जमाया है
लहरा रही है आम्र पत्तियाँ,
टेसुओं ने पुष्प खिलाया है।

धरा ने किया नव श्रृंगार,
हवा का मन ललचाया है
कर स्पर्श सुमन के संग,
बगिया को महकाया है।

अंशुमान के दर्शन पाकर,
खग ने शोर मचाया है
भंवरों की टोली ने आकर,
मंगल गीत सुनाया है।

फैल रही महुआ की खुशबू,
प्रकृति ने रंग जमाया है।
धरती माँ ने ओढ़ चुनरिया,
सबको गले लगाया है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।