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कृष्ण जन्म

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


प्रहरी सब सोये कारा के,हर्ष सुरन में भारी,
कंस का वध करने को जन्मे,मथुरा में त्रिपुरारि
इक पल विहँसि मातु देवकी,दूजे पल घबराई,
खबर लगी तो प्राण हरण को,आ जायेगा भाई
रचना रची विधाता ने यूँ,शक्ति नन्द घर आयी,
हरि के हाथों नष्ट दुष्ट हो,ऐसी जुगति लगाई।

टूटी बेड़ियाँ खुले सब द्वार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

प्रहार आखिरी,निशा घनेरी,
मथुरा से ब्रज की ये दूरी
करनी है अभी पार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

टूटी बेड़ियाँ खुले सब द्वार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

भादों मास,मेघ नभ छाये,
दामिनी मन्द-मन्द मुसकाये
रिमझिम पड़े फुहार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

टूटी बेड़ियाँ खुले सब द्वार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

जल में उठती देख हिलोरें,
चकित चितव बाबा हुए थोरे
हो कैसे सरिता पार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

टूटी बेड़ियाँ खुले सब द्वार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

यमुना चरण परस अकुलानी,
भगति-भावना हरी पहिचानि
पाँव निकाला बाहर,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

ब्रज पहुँचे हरि भये नन्दलाला,
वसु बाबा लौटे ले बाला
महामाया अवतार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार।

टूटी बेड़ियाँ खुले सब द्वार,
बाबा के संग ब्रज को चले करतार॥

परिचय-निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

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