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भारतीय सैनिकों का बलिदान रहेगा हमेशा प्रेरणादायी

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

विश्व में शायद ही ऐसा देश होगा जहाँ युद्ध न हुआ होl इन युद्धों में न जाने कितने लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। यह सब सिर्फ अपने देश की रक्षा के लिए,उसके सम्मान के लिए होता हैl सभी देशों में भारत भी एक ऐसा देश है,जहाँ युद्ध होते रहते हैं।
अगर हम भारत का इतिहास देखते हैं तो जान जाएंगे कि कितने युद्ध कहाँ और किस कारण हुए थे। अनेक युद्धों में कारगिल का अपना इतिहास है,जिसे हम आज भी भारत के विभिन्न स्थानों पर गौरपूर्वक स्मरण उत्सव के रूप में मनाते हैं।
आखिर यह युद्ध हुआ क्यों ? यह प्रश्न उठता है। जहाँ तक हम अपने भारत को जानते हैं,जाहिर-सी बात है युद्ध की पहल हम नहीं करते। सन उन्नीस सौ इकहत्तर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ,परन्तु उन्नीस सौ नब्बे में कश्मीर में अवांछित गतिविधियों के पीछे पाकिस्तान देश का समर्थन पाया गयाl इसके लिए उन्नीस सौ अट्ठानवे में दोनों देशों में न्यूक्लियर परीक्षण किया गया। फलस्वरूप युद्ध का माहौल तेज हो गयाl इस स्थिति को ख़त्म करने के लिए फरवरी उन्नीस सौ निन्यानवे में लाहौर घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यहाँ तक यह तय हुआ कि,कश्मीरी मुद्दे पर दोनों देशों में शान्तिपूर्वक हल निकालेंगे। इसके बाद भी उन्नीस सौ अट्ठानवे-निन्यानवे में पाकिस्तानी फौज का एक दल और मुजाहिदीन भारत की एलओसी की ओर पाए गए। पूछताछ से यह पता चला कि कश्मीर और लद्दाख के बीच की लिंक तोड़कर भारतीय सेनानियों को ग्लेशियर्स से पीछे हटवाना और कश्मीर मुद्दे की बातें भारत सरकार से मनवाने हेतु ‘ऑपरेशन बद्र’ की रचना की गई थी। एलओसी के आसपास की गतिविधियों से पता चला कि बड़ी योजना चल रही है। इस योजना का पता चलने पर भारत सरकार ने इसका उत्तर ‘ऑपरेशन विजय’ के रूप में दिया।
अगर हम कारगिल युद्ध को देखते हैं तो इसे इन ३ चरणों में विभाजित कर सकते हैं। पाकिस्तान ने भारत के एनएच-१ हाइ-वे पर कपटपूर्वक और रणनीति पूर्वक कब्जा कर लिया। युद्ध का दूसरा चरण यह कह सकते हैं कि भारत को इस रणनीति का पता चला और वह जागृत होकर उत्तर देने के लिए तैयार हो गया।
युद्ध के तीसरे चरण में भारत और पाक के बीच घनघोर युद्ध हुआ और आखिर जीत का श्रेय भारत के हिस्से में आया। वैसे तो कारगिल युद्ध को हम तिथि के अनुसार भी विभाजित कर सकते हैंl ऑपरेशन विजय की शुरुआत चार मई को हुई,जिस दिन हमें कारगिल की ऊंचाई पर घुसपैठियों की सूचना मिली। पांच से पंद्रह मई के बीच सेना के गश्ती दल को सर्वेक्षण के लिए भेजा और इस बीच कप्तान सौरभ कालिया लापता हो गए। छब्बीस मई को भारतीय वायुसेना ने हवाई हमलों की शुरुआत की।सत्ताईस मई को भारतीय वायुसेना व सेना के दो लड़ाकू विमान गंवा दिए। इसमें एक फ्लाइट के लेफ्टिनेंट नचिकेता थेl इसी दौरान पाकिस्तान पायलट को भी बंदी बना लिया जाता है। अट्ठाईस मई को पाकिस्तान द्वारा चार वायुसेनानियों की मृत्यु हो गई थी। इकतीस मई को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल में युद्ध जैसी स्थिति कह कर युद्ध की घोषणा की। एक से चार जून तक हमला जारी था। सात जून को छह सैनिकों की मृत्यु हो गई,जिनका शव क्षत-विक्षत रूप में मिलने से भारतीय सैनिकों में नाराजगी छाई रही। बारह जून को विदेश मंत्री जसवंत सिंह और सरताज के बीच बैठक हुई। पन्द्रह जून को अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान सैनिकों को कारगिल से निकलने का आग्रह कियाl पाँच जुलाई को शरीफ ने पाकिस्तानी सैनिकों को वापिस लौटने को कहाl चौदह जुलाई को ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा की गई और आखिर में छब्बीस जुलाई को कारगिल युद्ध को हम सब कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैंl इस दिन देश के जवानों को सम्मान और सुमन श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंl यह दिवस देश के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है,जैसे कारगिल के द्रास क्षेत्र में, राजधानी नई दिल्ली में इंडिया गेट पर बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैl यहां तक कि पटना शहर में कारगिल वार मेमोरियल बनाया गया हैl यह हमारे देश की विजय का प्रतीक हैl भारतीय सेना द्वारा ट्रांस में कारगिल वार मेमोरियल बनाया गया हैl यह कारगिल युद्ध के शहीद जवानों की याद में बनाया गया है। एक संग्रहालय भी है,जहाँ हथियार और कई चीजें रखी गई है। युद्ध के दस्तावेज,जवानों के चित्र, रेकार्डिंग्स आदि। सबसे खुशी की बात यह है कि मेमोरियल के मुख्य द्वार पर हिन्दी कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता है,जो आगंतुकों द्वारा पढ़ी जा सकती है। इस प्रकार हम कारगिल युद्ध को बता सकते हैं। इस युद्ध में जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया है,हमारे उन सैनिकों का बलिदान हमारे लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा। हमारे कारगिल योद्धा हमें हमेशा यह प्रेरणा देते हैं कि हमें अपने देश के लिए तत्पर रहना चाहिये। हमारी देशभक्ति,हमारे प्राण देश के लिए होने चाहिए-

क्या रात,क्या दिन,
क्या पहाड़,क्या पाकिस्तान।
तेरे लिए ऐ मेरे वतन,
पूरी ज़िंदगी है कुर्बानll

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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