जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष…..
जी-तोड़ मेहनत करे,रेन-दिवस इक धार,
शीत गरम बरसात में,खड़ा सदा खूंखार।
पीठ पसीना रेलता,परिश्रम करे हमेश,
वो रखवाला खेत का,सहता संकट-क्लेश।
खुद की नहीं फिक्र करे,पाले निज परिवार,
गाँव-शहर हर कौम को,देता अन्न अपार।
कर्ज ले कर कृषि करे,ऊपज है आधार,
खरो कमावै खेत में,आलस नहीं लगार।
उर आशंका ऊपजै,खाय मनोमन खोप,
ईश्वर तू आगे भगा,पाला-ओस प्रकोप,
हिम्मतवाला साहसी,है देश का किसान,
सहनशील धैर्यवान भी,सच्चा निष्ठावान।
अन्नदाता की उपमा,सदा जुड़ी है साथ,
पेट पालता सबन का,परिश्रम कर दिन-रात।
तेज धूप वो खेत में,गावै सुमधुर गीत,
हलियो सगो भाई है,बैल्या मन का मीत।
ये गर कृषि करे नहीं,अन्न कहाँ से आय,
कृषक सबका आसरा,ये अन्न ऊपजाय।
फसल नष्ट की बात हो,या लग गया रोग,
इनकी पीड़ा को सुने,जरा करे सहयोग।
खाना-पीना खर्चना,उत्सव शादी-ब्याह,
एक कृषि का आसरा,नहीं ओर से चाह।
मेरे भारत देश का,अच्छा सदा इंसान,
सरल ईमानदार है,कर्मठ नेक किसान॥