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यक्ष प्रश्न-मोदी जी का स्वागत अंग्रेज़ी में क्यों ?

डॉ. तोमिओ मिज़ोकामि
ओसाका (जापान)
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अभी कुछ दिन पहले की बात है कि, ‘आज तक’ की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया। मैंने आज तक चैनल में मोदी जी का पूरा भाषण बड़े चाव से सुना है, लेकिन उसके पहले आज तक के अध्यक्ष अरुण पुरी पता नहीं क्यों, अंग्रेजी में अपना स्वागत भाषण देने लगे थे!
यह हिंदी चैनल है, कोई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी तो है नहीं। सभी श्रोता और उपस्थित अतिथि हिंदी समझते हैं! और सबको मालूम था कि, मोदी जी तो हिंदी में ही बोलेंगे। फिर अध्यक्ष क्यों अंग्रेजी में बोले, शायद अपना रौब दिखाना चाहते थे ? प्रधानमंत्री के सामने रौब दिखाने की क्या आवश्यकता थी ? हाँ, वे हिंदी में भी अवश्य बोले, लेकिन केवल २० प्रतिशत! इसी अनुपात ने ही संविधान का विरोधाभास प्रकट किया था-अंग्रेजी राज्य (प्रधान) भाषा है और हिंदी सहायक (गौण) भाषा! यों भी कह सकते हैं कि, उन्होंने मन की गुलामी का अनुपात (८० प्रतिशत) भी ठीक दिखाया था। उनकी श्रीमती कली पुरी तो लगभग १०० फीसदी केवल अंग्रेजी में ही बोली थीं। इतनी अंग्रेजी प्रिय है तो क्यों हिंदी का चैनल चला रहे हैं ? वह भी दर्शकों की संख्या सबसे अधिक होने का दावा करने वाला टी.वी. चैनल! शोभा नहीं देता! अंग्रेजी का प्रयोग सर्वत्र अनुचित है-मेरी यह राय नहीं है। अंग्रेजी का प्रयोग जहाँ औचित्य है, वहीं होना चाहिए। हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रचार के लिए सबसे बड़ी बाधा तो स्वयं शिक्षित भारतीयों की यही अंग्रेजीयत है! स्व. डॉ. वेदप्रताप वैदिक जीवित होते तो वे क्या कहते ?

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई)

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