मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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हर कदम पर मुस्कुराना होगा,
पर्वतों में भी मार्ग बनाना होगा।
कठिन होता नहीं कुछ सोच लो,
जिंदगी चलती है थोड़ी मौज लो।
अटल विश्वास मन में रखना है,
प्रेम का जो वास मन में रखना है।
गीत हर हाल में तो गाना होगा,
हर कदम पर मुस्कुराना होगा।
मंजिलें कितनी भी दूरी पर हों,
दिक्कतें कितनी सीढ़ियों पर हों।
मार्ग को न छोड़ना हर हाल में भी,
है मंजिलें मिल के रहेगीं वो सभी।
मंजिल को तुझे ही पाना होगा,
हर कदम पर मुस्कुराना होगा।
पाँव डगमगा जाएं न जिंदगी के,
खेल सुंदर रहे हरदम जिंदगी के।
बंदगी को हाथ यूँ ही बढ़ता रहे,
कदम पर दर कदम चढ़ता रहे।
यह इंतहा तुझे ही पाना होगा,
हर कदम पर मुस्कुराना होगा।