प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियान।
हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शानll
हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्ट।
हिन्दी अपनायें सभी,होकर के आकृष्टll
कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान।
हिन्दी में है उच्चता,’शरद’ सभी लें मानll
हिन्दी का उत्थान हो,हिन्दी का सम्मान।
हिन्दी पर अभिमान हो,हिन्दी का गुणगानll
हिन्दी तो समृध्द है,हिन्दी है सम्पन्न।
हिन्दी माने हीन जो,वह नर सदा विपन्नll
हिन्दी में सामर्थ्य है,हिन्दी में है तेज।
हिन्दी तो सचमुच सरल,क्षमता से लबरेजll
हिन्दी में अध्यात्म है,हरसाता है धर्म।
लेखक,कवि जो कह रहे,समझे हर इक मर्मll
हिन्दी है भाषा बड़ी,संस्कार की धूप।
हिन्दी है हितकर सदा,मोहक जिसका रूपll
भाषा हिन्दी राष्ट्र की,लिये राष्ट्रहित भाव।
हिन्दीभाषी नित रखें,निज भाषा का तावll
संस्कार पोषित करे,अनुशासन-उदघोष।
हिन्दी हमको दे रही,सच्चाई का होशll
परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।