सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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भारत वतन हमारा,
प्राणों से अधिक प्यारा
सिर पर मुकुट हिमालय,
बहती है गंग धारा।
पग धो रही है माँ का,
अपने पुनीत जल से
हिंद महासागर,
की शुद्ध निर्मल धारा।
भाषा अनेक बोली,
है पर्व रंग होली
सब एकसाथ मिल कर,
करते यहाँ ठिठोली।
सब धर्म का हैं करते,
सम्मान देशवासी
आयत क़ुरान की हो
गुरुग्रन्थ की हो वाणी।
सावन का कहीं मेला,
पूजा गणेश की हो कठपुतली का कहीं खेला,
दीपक दिवाली का हो।
वेदों पुराणों वाला,
हर रंग इसका प्यारा।
यह विश्व कह रहा है,
मेरा देश सबसे न्यारा॥