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समय बिताना और परिवार के बीच स्नेह बढ़ाना आवश्यक

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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विश्व पारिवारिक दिवस (१ जनवरी) विशेष…

१ जनवरी को ‘विश्व पारिवारिक दिवस’ मनाया जाता है। इसे विश्व शांति दिवस भी कहा जाता है। इस दिवस के माध्यम से लोगों में वैश्विक एकता और सद्भाव के विचारों को बढ़ावा दिया जाता है। इस दिवस को नए साल के दिन इस आशा के साथ मनाया जाता है कि, आने वाला पूरे साल दुनिया में सूक्ष्म और स्थूल दोनों तरह सकारात्मकता बदलाव लेकर आए। विश्व में शांति की स्थापना करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है एक परिवार का निर्माण, जिसके माध्यम से विश्व में शांति की स्थापना हो सकती है और बढ़ती हिंसा को कम किया जा सकता है। इस दिवस का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है जो लोगों को अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताने का मौका देता है। आज के समय में जहां सभी लोग अपने कार्यों में इतने व्यस्त हैं कि, वह परिवार को समय नहीं दे पाते हैं, जो सबसे महत्वपूर्ण है। इस स्थिति को देखते हुए ही वैश्विक परिवार दिवस की स्थापना की गई है। दिन मनाने का उद्देश्य नए साल के दिन ही दुनिया के सभी परिवारों को एक एकल समाज के रूप में एकत्रित करना है।
सर्वप्रथम वैश्विक परिवार दिवस का विचार १९९७ में बच्चों की एक पुस्तक से शुरू हुआ। १९९७ में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा १ जनवरी को शांति का एक दिन के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इसकी सफलता को देखते हुए २००१ में महासभा द्वारा इसे एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में स्थापित किया गया।
साल के शुरुआती दिन यह इस मकसद से मनाया जाता है कि, दुनिया भर के सभी देशों, धर्मों के बीच शांति की स्थापना की जा सके और युद्ध और अहिंसा को टाला या आपसी बात-चीत के माध्यम से निपटाया जा सके। इसके साथ परिवार को खासा महत्व दिया गया है। विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और परंपराओं के बाद भी ये विश्व के परिवार है और परिवार में युद्ध की स्थिति नहीं होनी चाहिए। बात करें आज की तो किसी के पास एक दूसरे व्यक्ति के साथ समय बिताने के लिए समय नहीं है। अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकाल कर आप अपने परिवार के साथ बिता कर एक सकारात्मक भावना के साथ आने वाली पीढ़ियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
३ ऐसी वजह भी हैं, जिस वजह से इसे मनाते हैं-बुरी आदतों और दुखद क्षणों को भूलकर आगे बढ़ने का दिन, १ जनवरी एक ऐसा समय-जब लोग नए संकल्प लेते हैं और अपनी गलत आदतों का त्याग करने का भी संकल्प लेते हैं।
परिवार से ही आप एक अच्छे नागरिक बनकर समाज में निकलते हैं, क्योंकि परिवार ही ऐसी जगह है जहां नेतृत्व, मार्गदर्शन, आपसी समर्थन और वयस्कता की तैयारी आदि के बारे में काफी-कुछ सीखने का मौका मिलता है। अच्छे और बुरे में फर्क करना आता है। जीवन के लिए परिवार प्रशिक्षण के मैदान की तरह है।
असल मायने में यह परिवार को मनाने के अलावा परिवार के लोगों के बीच स्नेह बढ़ाने का भी दिन है। हम लोग वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं, जो मानव जाति के अंतर्गत है। यदि हम सब खुद के परिवारों के साथ शुरू करते हैं, तो इससे वैश्विक परिवार के रूप में सद्भाव में रहने की ओर यह हमारा पहला कदम होगा।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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