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वाह! क्या उम्मीदवार हैं हमारे ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिक
गुड़गांव (दिल्ली) 
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दिल्ली के आम चुनाव की चर्चा देशभर में है। कई कारणों से है लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं,जिनकी वजह से दिल्लीवाले अपना माथा ऊंचा नहीं कर सकते। दिल्ली में शिक्षा-संस्थाओं की भरमार है लेकिन दिल्ली प्रदेश के चुनाव में ५१ प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे हैं,जो १२ वीं कक्षा या उससे भी कम पढ़े हुए हैं। उनकी संख्या ३४० है। ४४ प्रतिशत ऐसे हैं,जिनकी शिक्षा बीए या उससे थोड़ी ज्यादा है। उनमें से एम.ए.,पीएच.-डी, चिकित्सक या वकील कितने हैं,कुछ पता नहीं। ये आँकड़े खोजनेवाली संस्था ‘एसोसिएशन फाॅर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ यदि इस तरह के आँकड़े भी सामने लाती तो यह अंदाज लगाते कि इन जन-प्रतिनिधियों में कितने लोग सचमुच पढ़े-लिखे लोग हैं और उनमें से कितनों को कानून बनाने की समझ है। दूसरे शब्दों में इन उम्मीदवारों में कितने ऐसे हैं,जिनमें विधायक या सांसद बनने की योग्यता है। इन उम्मीदवारों में ६ ऐसे हैं,जो कहते हैं कि वे दस्तखत करना जानते हैं और वे चाहें तो अखबार भी पढ़ सकते हैं। कुल ६७२ उम्मीदवारों में १६ ऐसे भी हैं,जो निरक्षर हैं। वे पढ़ने-लिखने जैसी जहमत नहीं करते। वे दस्तखत की बजाय हर जगह अंगूठा लगाते हैं। यह ठीक है कि बुद्धिमान और चतुर होने के लिए किसी व्यक्ति का डिग्रीधारी होना जरुरी नहीं है लेकिन विधायक और सांसद बनने के लिए कोई न्यूनतम योग्यता तो होनी चाहिए या नहीं ? चुनाव आयोग इसका विधान जब करेगा,तब करेगा लेकिन हमारी राजनीतिक पार्टियां क्या कर रही हैं ? वे तो चुनावी मशीन बनकर रह गई हैं। वे सिर्फ ऐसे उम्मीदवार चुनती हैं,जो उनके लिए वोट और नोट जुटा सकें। इसीलिए आप देखिए कि इस चुनाव में २० प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे हैं,जिनके खिलाफ बकायदा आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस मामले में सभी पार्टियां चुनाव के हम्माम में नंगी हैं। किसी के ५१,किसी के २५ और किसी के २० प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं ? ये लोग विधायक बनकर क्या गुल खिलाएंगे ? इन्होंने अपना असली रंग दिखाना अभी से शुरु कर दिया है। मतदाताओं को नशीले पदार्थ पिछले चुनाव के मुकाबले इतनी बेशर्मी से बांटे जा रहे हैं कि,उनकी जब्ती इस बार अब तक २१ गुना हो गई है। धन्य है,हमारा लोकतंत्र !!

परिचय–डाॅ.वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है,जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। पत्रकारिता सहित राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष आदि अनेक क्षेत्रों में एकसाथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले डाॅ.वैदिक का जन्म ३० दिसम्बर १९४४ को इंदौर में हुआ। आप रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के जानकार हैं। अपनी पीएच.डी. के शोध कार्य के दौरान कई विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करके आप भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा है। इस पर उनका निष्कासन हुआ तो डाॅ. राममनोहर लोहिया,मधु लिमये,आचार्य कृपालानी,इंदिरा गांधी,गुरू गोलवलकर,दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित डाॅ. हरिवंशराय बच्चन जैसे कई नामी लोगों ने आपका डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से तब पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। श्री वैदिक ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ १३ वर्ष की आयु में हिंदी सत्याग्रही के तौर पर १९५७ में पटियाला जेल में की। कई भारतीय और विदेशी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार डॉ.वैदिक लगभग ८० देशों की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं कर चुके हैं। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि १९९९ में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आप पिछले ६० वर्ष में हजारों लेख लिख और भाषण दे चुके हैं। लगभग १० वर्ष तक समाचार समिति के संस्थापक-संपादक और उसके पहले अखबार के संपादक भी रहे हैं। फिलहाल दिल्ली तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग २०० समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर आपके लेख निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपको छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार मिले हैं तो भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान दिए एवं अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आपकी प्रमुख पुस्तकें- ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ:क्यों और कैसे ?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’,‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’,‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका:इंडियाज आॅप्शन्स’,‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ?’ और ‘वर्तमान भारत’ आदि हैं। आप अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हैं,जिसमें विश्व हिन्दी सम्मान (२००३),महात्मा गांधी सम्मान (२००८),दिनकर शिखर सम्मान,पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार,हिन्दी अकादमी सम्मान सहित लोहिया सम्मान आदि हैं। गतिविधि के तहत डॉ.वैदिक अनेक न्यास, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय हैं तो भारतीय भाषा सम्मेलन एवं भारतीय विदेश नीति परिषद से भी जुड़े हुए हैं। पेशे से आपकी वृत्ति-सम्पादकीय निदेशक (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन की है। आपकी शिक्षा बी.ए.,एम.ए. (राजनीति शास्त्र),संस्कृत (सातवलेकर परीक्षा), रूसी और फारसी भाषा है। पिछले ३० वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अध्यापन कार्यक्रम चलाते रहे हैं। भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य,अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित डॉ.वैदिक का निवास दिल्ली स्थित गुड़गांव में है।

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