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सृष्टि की अनमोल कृति हूँ

रेनू सिंघल
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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मैं अभिव्यक्ति हूँ,
गूँथ कर शब्दों के मोती
मन के भाव पिरोती हूँ,
एहसासों से हृदय आसन पर
श्रृंगार सृजन का करती हूँl

मैं ही कविता,मैं ही गीत,
मैं ग़ज़ल कहलाती हूँ
धड़कन की हर लय ताल पर,
जीवन राग सुनाती हूँ
साँसों से जुड़ी है सरगम,
प्रेम राग बरसाती हूँ।

मैं चंचल भी,शांत नीरव-सी,
मैं कण-कण में व्याप्त सदा-सी
मैं उजास-सी श्यामल रात-सी,
मैं हूँ कंठ की मुक्त वाहिनी
मैं हूँ धारा की चंचल रागिनी,
मैं सुहास हूँ,मैं बयार हूँ
वीणा सुर-सी मधुर झंकार हूँ।

हृदयतल के अंतर्मन पर,
शब्द-शब्द पिघलाती हूँ
अश्रु की अविरल धारा-सी,
पीर का नीर बहाती हूँ
दर्द समेटे हृदय में कितने,
आँचल से मुस्काती हूँl

मैं ही रहस्य,मैं ही मूल हूँ,
मैं ही तुझमें तेरी हर बात में हूँ
मैं ही भक्ति,मैं ही प्रीत हूँ,
मैं ही श्रद्धा,मैं विश्वास हूँl
मैं वो रचना,है जग जिससे,
मैं सृष्टि की अनमोल कृति हूँll

परिचय-रेनू सिंघल का निवास लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में है। १९६९ में ९ फरवरी को हापुड़ (उत्तर प्रदेश) में जन्मीं हैं। आपको हिंदी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। गणित से स्नातक(बी.एस-सी.)श्रीमती सिंघल का कार्यक्षेत्र-लेखन का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप साहित्य सृजन द्वारा सामाजिक चेतना जागृत करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी और लेख है। ‘अलकनंदा’ साझा काव्य संकलन सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मानों में-साहित्य श्री सम्मान,काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान- २०१८,प्रजातन्त्र का स्तम्भ गौरव पुरस्कार- २०१९ और सी. वी. रमण शांति सम्मान-२०१९ आदि हैं।

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