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स्वरोजगार तुमको ढूंढना है

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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ऐसा रोजगार नहीं चाहिए,
जिसमें राजनीति की बू आती है।
घूसखोर जिसमें पैसा लेते हैं,
और डिग्रीयां देखी नहीं जाती हैं।

पैसों की शान-शौकत से वह,
रोजगार तो हासिल कर लेते हैं।
समाज में दिशा नहीं दे पाते वह,
समाज में बदनाम हो जाते हैं।

गरीब घर के हैं वह बालक,
पढ़ाई में सबसे आगे रहते हैं।
नौकरी में पैसा ना दे पाने पर,
नौकरी से वंचित रह जाते हैं।

देश की अर्थव्यवस्था कह रही,
यह बात बिल्कुल सच्ची है।
बेरोजगारों की हालत से बढ़िया,
भिखारियों की हालत अच्छी है।

फिर भी पढ़ना मत छोड़ना,
कर्म पर विश्वास तुमको करना है।
सरकारी नौकरी न मिले तो क्या ?
स्वरोजगार तुमको ढूंढना हैll

परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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