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शरणार्थी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष………..

शरणागत धर्म-सक्षम साहस,

कर्मवीर वचन

दृढ़प्रतिज्ञ पालक,

रक्षक कहलाता है।

खुद के दायित्व,

कर्तव्यों का सात्विक

विशुद्ध अंतर मन से

करता है,

युग पुरुषार्थ बन जाता।

याचक उसकी

शरण में जब

भी आता,

उसकी रक्षा

में पराक्रम का,

पुरुष युग शरणागत

की मान-सम्मान

मर्यादा की

रक्षा में शौर्य सूर्य-सा,

मानवता के मूल्यों का

प्रहरी दुष्ट दानवता का,

प्रहार दमन का

काल चक्र कहलाता है।

शरणार्थी शरणागत के कुछ ऐतिहासिक तथ्य-

मर्यादा का अवतार,

राम शरणागत विभीषण

अपमान गरल के

प्रतिशोध में परम

प्रतापी ग्यानी,

बलशाली अभिमानी

रावण का मर्दन कर,

शरणार्थी का राज तिलक

कर शरण अर्थ

का सत्यार्थ परिभाषा है।

रानी कर्मवती ने भी,

हुमायूं की शरणागत होकर

भाई का रिश्ता जोड़ा था,

भाई-बहन के रिश्तों को

तुर्क नहीं जानता,

दे गया कथित

बहन धोखा,

धोखा देकर

शरणार्थी धर्म

को कलंकित

कर जाता है।

भारत की रणचंडी,

शेरनी युग अभिमान

की नारी ने,

अपने समाज से हारे

मारे अल्लाह हो अकबर

पुकारते पूर्वी पाकिस्तान

के मुसलमान को

दी शरण,

उनकी अस्मत की

रक्षा में भारत के

बलिदान अनेक हुए,

फिर भी भारत की

त्याग-तपस्या-बलिदानों से,

अभिभूत संसार हुआ।

शरणार्थी का वर्तमान भारत-

आज वक्त बदल गया है,

उग्र उग्रता के इस्लाम से

राष्ट्र एकात्मता लज़्ज़ित,

शर्मशार हुई

शांति-प्रेम का कश्मीर

नित बहते रक्तों से बेहाल हुई,

युवा हाथ में पत्थर

बन्दूकें खौफ दहशत से

घाटी रोज हैं काँपती,

भारत की आबरू

हर पल नीलाम हो रही।

अपने हो गए बेगाने,

अपने घर-आँगन

गुलशन की बगिया,

कश्मीरी पंडित अनजान हुए।

अपने ही वतन-जमीं,

आसमान के नीचे

कश्मीर का पंडित

अपना घर खोज रहा,

दर-दर भटकता

इधर-उधर भटकता,

शरणार्थी की नयी

परिभाषा आम हुई।

आक्रांता बनाना चाहे,

शरणार्थी-अपना किसान

मांग रहा दाम,

नौजवान की चाहत रोजगार-काम

सरहद की रक्षा में अक्सर भारत

का गौरव जवान,

हो रहा देश की

खातिर बलिदान,

देखो रोज नए फसाद

की जड़ रोहिंग्या,

भारत में शरणार्थी

शरण मांगता भारत की,

सम्प्रभुता का खतरा

भविष्य के आतंक की,

बुनियाद शरणागत का

नया धर्म सिखलाता॥

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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