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शिक्षक होना भी एक…

मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’
कोटा(राजस्थान)
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शिक्षक दिवस विशेष………..

आज एक मित्र सीधे-सीधे मॉर्निंग वॉक से घर आ धमके। बोले,चलो गौतम जी के यहाँ चलते हैं चाय पीयेंगे बतियाएंगे,गौतम जी को तो अपनी याद आती नहीं,अपन ही मिल लेते हैं…..आदि बतरस पुराण की सूक्तियां बोलते रहे। मैं बस मुस्कुरा कर रह गया- जानता हूँ राष्ट्र निर्माता है,काफी चिंतन करते हैं,तभी तो बोलते हैं,अन्यथा लोगों को तो एक वाक्य के बाद क्या बोलें, यह भी पढ़ाना पड़ता है।
श्रीमती जी को बोला,आज तो अहोभाग्य मित्र वचन सुनने को मिलेंगे। जरा चाय के साथ कुछ मीठा-शीठा भी हो जाए,यदि आपकी मेहरबानी हो जाए तो…। श्रीमती जी ने नयन तरेर कर बोला-ज्यादा बोल रहे हो क्या…? और अपन एक नई परीक्षा के लिए खुद को तैयार करने में जुट गए। खैर,मित्र के साथ ऊपर छत पर नर्म धूप में जा बैठे। आपस में हाल-चाल की बात-औपचारिकता के बाद बात सीधे-सीधे राष्ट्र वार्ता पर पहुंच गई। बोले-यार गौतम यह बताओ-शिक्षक होना गुनाह है क्या ?
मैं बोला-क्यों भाई यह प्रश्न मुझसे क्यों ? मैं भी तो शिक्षक ही हूँ।
हाँ,वो ही तो कल चाय-चकल्लस में कुछ लोग मुझे निशाना बना कर बहुत कुछ बोल रहे थे शिक्षकों के बारे में। अरे तो यह तो अच्छी बात है। समाज हमारे बारे में चिंतन करता है।
क्या खाक चिंतन करते हैं,सब नकारात्मक विचार रखते हैं हमारे बारे में।
अरे तो क्या हुआ,विचार तो करते हैं ना,कोई हमारे बारे में विचार करता है,यही क्या कम है। वरना कौन-किसके बारे में सोचता है ?
अरे नहीं यार,बोलते हैं शिक्षक करते- धरते कुछ नहीं,बस मौज करते हैं। आज राष्ट्र में जो नकारात्मक माहौल बनता जा रहा है,वो सब शिक्षकों की वजह से,गलत शिक्षा की वजह से है। हराम की तनख्वाह लेते हैं।
तो क्या हुआ खत्री,जिनको बोलना है बोलने दो। यह उनका काम है आपको अपना काम करना है। याद रहे सड़क का काम सबको मंजिल पर पहुँचाना होता है,चाहे वो उसका रख-रखाव ठीक रखें या उस पर गड्ढे बनाएं या फिर उस पर गंदगी फैलाएं। और शिक्षक एवं सड़क दोनों लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का काम करते हैं।
अरे तो यह कोई बात हुई,हमारा सम्मान भी कोई चीज़ है। समाज से हम क्या मांगते हैं एक सम्मान,वो भी नहीं दे सकते तो कम-से-कम अपमान तो न करें।
देखो भाई,हमारी जमात में ऐसे भी लोग आ गए हैं,जो शिक्षक की योग्यता नहीं रखते परन्तु शिक्षक बन गए। वो समाज में हमारी छवि को नकारात्मक बनाने में काफी हद तक जिम्मेवार है।
और चाय के साथ जलेबी,नमकीन आ चुके थे। लीजिए जनाब,नाश्ता कीजिए और थूक दीजिए गुस्सा उन लोगों का…।

परिचय–मधुसूदन गौतम का स्थाई बसेरा राजस्थान के कोटा में है। आपका साहित्यिक उपनाम-कलम घिसाई है। आपकी जन्म तारीख-२७ जुलाई १९६५ एवं जन्म स्थान-अटरू है। भाषा ज्ञान-हिंदी और अंग्रेजी का रखने वाले राजस्थानवासी श्री गौतम की शिक्षा-अधिस्नातक तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(राजकीय सेवा) है। कलम घिसाई की लेखन विधा-गीत,कविता, लेख,ग़ज़ल एवं हाइकू आदि है। साझा संग्रह-अधूरा मुक्तक,अधूरी ग़ज़ल, साहित्यायन आदि का प्रकाशन आपके खाते में दर्ज है। कुछ अंतरतानों पर भी रचनाएँ छ्पी हैं। फेसबुक और ऑनलाइन मंचों से आपको कुछ सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समय का साधनामयी उपयोग करना है। प्रेरणा पुंज-हालात हैं।

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