चलो चलें हम ढूंढ लें उनको फिर से
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** सिखाने की हर विधा के माहिर,कला, विशिष्टता उनमें हो जाहिरशिष्ट-प्रतिभा जगाने में गुर माहिर,फिर पढ़-लिख हम बनते शातिर। स्लेट-पेंसिल हाथ सजाते,वर्ण-शब्द के बोल बतातेमुर्द्धा-तालू गिनती…