सतर्क भारत,समृद्ध भारत

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************************** किसी भी राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख महत्व वहाँ के लोगों के उत्साह एवं निष्ठा का ही होता है। राष्ट्र के लोग जब आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ अपने किसी लक्ष्य की ओर चल निकलते हैं,उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समुचित साधनों,तकनीकों और व्यवस्थाओं आदि का सर्जन सहज ही … Read more

अपनी ही रगों का खून माँगता है

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** क्या कोई मजहब,लाशों की भीड़ माँगता है ?अपने ही बागों के गुलाबों की,मूर्छित तस्वीर माँगता है ?ये तो कुछ इन्सानों के मन में बैठा,एक दरिन्दा है।जो अपनी नफरत की प्यास बुझाने,हिंसा की ज्वाला भड़काअपनी ही रगों का खून माँगता हैll

गीता ज्ञान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************************** मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन,सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन।मैं चलकर कर्म के पथ पर,करूँ हर पल का नित वंदन-महकता मेरा गीता-ज्ञान से,जीवन औ’ घर-आँगन॥ कर्म को मानकर पूजा,ही मन को तुम प्रबल रखना,बनो तुम निष्कपट मानव,यही आदर्श फल चखना।नहीं करना कभी तुम,एक पल … Read more

श्रीलंका की दाल में कुछ काला

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ************************************************** श्रीलंका और भारत के संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव आए,लेकिन अब जबकि श्रीलंका में भाई-भाई राज है याने गोटबाया और महिंद राजपक्ष क्रमशः राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हैं,आपसी संबंध बेहतर बनने की संभावनाएं दिखाई पड़ रही हैं,लेकिन अभी-अभी दाल में कुछ काला दिखाई पड़ने लगा हैl महिंद राजपक्ष कुछ समय … Read more

हिंदी को बोलियों से मत लड़ाइए

डॉ. करुणाशंकर उपाध्यायमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** मनुष्य की भांति भाषाओं का भी अपना समय होता है,जो एक बार निकल जाने के बाद वापस नहीं लौटता। इसे हम संस्कृत,पालि,प्राकृत,अपभ्रंश इत्यादि के साथ घटित इतिहास द्वारा समझ सकते हैं। अंग्रेजी शासन के दौरान सबसे पहले सत्ता द्वारा हिंदी-उर्दू विवाद पैदा किया गया। जब स्वाधीनता संग्राम के कठिन संघर्ष के … Read more

मुस्कुराना मना है

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************************* दर्द के मुशायरा पर मुस्कुराना मना है,दर्दे-गम में तड़पकर घबरा जाना मना है। इश्क़ के राह में तेरा बच पाना मना है,अजनबी के वार से संभल पाना मना है। आशिक के गुरूर में झुक जाना मना है,मुज़रिम बनकर इश्क में ठहरना मना है। गुज़ारिश में इश्क के सोंचना मना है,महबूब की … Read more

अपनी भाषा हिंदुस्तानी

अख्तर अली शाह `अनन्त`नीमच (मध्यप्रदेश) ********************************************** सत्य अहिंसा न्याय दया की,रही सदा जो पटरानी।दुनिया में आला सबसे,हिंदी भाषा हिंदुस्तानी॥ नस-नस में है खून हिंद का,हिंदुस्तानी ऑन रहे।पले हिंद की भूमि में हम,हिंदी ही अभिमान रहे॥संस्कृति भाषा भूषा का,नहीं जहां सम्मान रहे।मानवता को दफनाने का,ही सचमुच सामान रहे॥है संकल्प यही हिंदी हित,देंगे हम हर कुर्बानी।दुनिया में … Read more

नयी भोर नव आश मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* नई भोर नव आश मन,नव अरुणिम आकाश।मिटे मनुज मन द्वेष तम,मधुरिम प्रीति प्रकाश॥ मार काट व्यभिचार चहुँ,जाति धर्म का खेल।फँसी सियासी दाँव में,हुई मीडिया फ़ेल॥ अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥ मिटी आज सम्वेदना,दया धर्म आचार।कहाँ त्याग परमार्थ जग,पाएँ करुणाधार॥ सत्ता के मद मोह में,अनाचार … Read more

घृणा

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** देसी से परदेसी हुआ,झेला दु:ख और पीड़ादर-दर भटका,खाया झटका,दिन-रात एक-सा करकेमुद्रा लेकर घर पर अटका,आया काम नज़र में जो भीकरते गया अब पैसा सटका,सगे संबंधी स्वार्थी निकलेकरने लगे साथ में क्रीड़ा।नीयत जानी अपनों की तो,मन में हो गई घृणा॥ बार-बार प्रयास भी करता,गाँव और समाज से डरतानीतिपरक और सामाजिक बातें,हरदम मैं तो … Read more

शांति का परचम फहराना है

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)*********************************************** हमें धरा पर शांति का परचम फहराना है,स्वार्थ को दूर भगा इसे स्वर्ग बनाना है। खून के रिश्ते सिसक रहे,रिश्तों में आ रही दरार।पावनता सब नष्ट हो गई,जीवन में हो रही तकरार।ईर्ष्या-द्वेष छोड़कर प्रेम की जोत जलाना है,हमें धरा पर शांति का परचम फहराना है…ll नदियों का पावन देश हमारा,मंत्रोच्चार का … Read more