है भाषा राज की हिंदी यूँ हीन

प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ********************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. बोल-तोल बदले सभी,बदली सबकी चाल,परभाषा से देश का,हाल हुआ बेहाल। जल में रहकर ज्यों सदा,प्यासी रहती मीन,होकर भाषा राज की,है हिंदी यूँ हीन। अपनी भाषा साधना,गूढ़ ज्ञान का सार,खुद की भाषा से बने,निराकार,साकार। हो जाते हैं हल सभी,यक्ष प्रश्न तब मीत,निज भाषा से जब जुड़े,जागे अन्तस प्रीत। अपनी भाषा … Read more

उजला किरदार

अरशद रसूलबदायूं (उत्तरप्रदेश)**************************************************** डॉ. अमीन का नाम बस्ती में बेहद अदबो- एहतराम के साथ लिया जाता है। २ साल पहले ही तो डॉ. साहब ने कस्बे में आकर क्लीनिक खोला था। उनके यहां दिनभर अच्छी बातें होती रहती थीं। नौजवानों को भलाई की बातें भी बताया करते थे। कस्बे में गमी-खुशी,कुछ भी हो डॉ. साहब … Read more

धीरे-धीरे भारतीयता भी छीन रही अंग्रेजी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. नई शिक्षा प्रणाली ने मातृभाषा की आशाएँ जगा दी हैं। उसे महसूस होने लगा है कि अच्छा समय आ रहा है। शताब्दियों से निराश और कुंठित मातृभाषा अपने बच्चों को दोराहे पर खड़ा देख कर प्रतीक्षा कर रही है कि वे सही रास्ते पर कदम रखें। उनके सामने दो रास्ते … Read more

हिन्दी का स्वरुप जनभाषा का हो

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. ‘हिन्दी दिवस’ १४ सितम्बर को हर साल मनाया जाता है। इस दिन बड़ी धूमधाम से हिन्दी की विरुदावली गायी जाती है। कहीं हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है तो कहीं हिन्दी पखवाड़ा। विद्यालयों के छात्र-छात्राओं में लेख,श्रुतिलेखन, काव्यपाठ आदि की प्रतियोगिताएँ होती हैं और सफल होनेवालों को … Read more

हर दिन को ‘हिंदी दिवस’ बनाना होगा

संदीप सृजनउज्जैन (मध्यप्रदेश) *************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. सितम्बर की हवाओं में न जाने कौन-सी मादकता है कि हिंदी के दिवाने झूमने लगते हैं। देश के कोने-कोने से समाचार आने लगते है कि हिंदी को बढ़ावा मिले इसके लिए महानगर,शहर,गाँव,गली, मुहल्लों में संगोष्ठी-कवि गोष्ठी की जा रही है। लोगों को हिंदी के प्रति आकर्षित करने के लिए … Read more

हिंदी हिंदुस्तान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. (रचनाशिल्प: मात्रा भार (१६/१३) हैं हम वासी,हिंदी मेरी जान है।मैंने तन-मन वार दिया है,मेरी जां कुर्बान हैll नमः मातरम् नमः मातरम्,धरती का ये राग है,भारत वासी बेटे हैं हम,सबकी यही जुबान है।हिन्द देश के हैं हम… अंग्रेजी पढ़ लेना तुम सब,बनना मत अंग्रेज तुम,देशद्रोह मत करना साथी,हिन्द … Read more

मानवता की पोषक है ये

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. कुछ लोगों के उपकारों का,आभार नहीं है हिन्दी,प्रतिशोधों की भाषा का,प्रतिकार नहीं है हिन्दी।मानवता की पोषक है ये,संस्कार की जननी है-जंजीरों की भाषा का,अधिकार नहीं है हिन्दी॥(इक दृष्टि यहाँ भी:जंजीरों की भाषा=अंग्रेज़ी ) परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) … Read more

करें हम भी सब सम्मान

मोहित जागेटियाभीलवाड़ा(राजस्थान)************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. हिंदी भाषा का ज्ञान लुटाते हैं,हिंदी की बिंदी को अपनाते हैं।ये हिंदी ही हमारी पहचान हो-इसलिए गीत हिंदी का गाते ह‌ैं॥ हिंदी का करें हम भी सब सम्मान,बने हिंदी भारत की अमिट पहचान।हिंदी निज भाषा हो ये परिभाषा-हम सभी बोलें हिंदी हिंदुस्तान॥ देश धरा का मान दिया हिंदी ने,संस्कृति का … Read more

हिंदी ही आधार है

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** हिंदी दिवस विशेष….. जब सीखा था बोलना,और बोला था माँ।जो लिखा जाता है,हिंदी में ही सदा।गुरु ईश्वर की प्रार्थना,और भक्ति के गीत।सबके सब गाए जाते,हिंदी में ही सदा।इसलिए तो हिंदी,बन गई राष्ट्रभाषा।प्रेम प्रीत के छंद,और खुशी के गीत।गाए जाते हिंदी में,प्रेमिका के लिए।रस बरसाते युगल गीत,सभी को बहुत भाते।और ताजा कर देते,उन … Read more

हिन्दी-सी ज़िंदगी

रोशनी दीक्षितबिलासपुर(छत्तीसगढ़)********************************************************** हिंदी दिवस विशेष….. हिन्दी-सी परिभाषित,होती है ज़िन्दगी।भावों और विचारों को,लिखती-बोलती है ज़िन्दगी। मनुष्य वर्ण, परिवार शब्द, समाज वाक्य,और देश,किताब-सी होती है ज़िन्दगी। किसी का गरीबी में आटा गीला,तो किसी की पांचों उँगलियाँ घी में।मुहावरों से छुपे अर्थ-सी होती है ज़िन्दगी। उपसर्ग बनने की होड़ में,प्रत्यय बन जाती, नित-नये विराम चिन्हों से नियमितहोती है … Read more