पहुँच जाने दो हमें गाँव

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* हम सड़कों पर सैर करने नहीं निकले हैं साहब, हम गाँव जाना चाहते हैं मेरी पत्नी के पेट में, बहुत दर्द है उसे थोड़ा विश्राम चाहिए। मेरा शिशु भूखा है बहुत, उसकी माँ के स्तन में दूध नहीं बचा है, चलते-चलते मांसपेशियां छिल गयी है। पड़ गए हैं पैरों में … Read more

तेरी कहानी ढूँढता हूँ!

गोपाल मोहन मिश्र दरभंगा (बिहार) ******************************************************************************** वक्त के अखबार में तेरी कहानी ढूँढता हूँ। उम्र के इस आइने में इक निशानी ढूँढता हूँ। दौर मिट जाएँ भले मिटते नहीं जज्बात दिल के, ले चले उस दौर में फिर वो रवानी ढूँढता हूँ। जब तेरी महफ़िल में लुटकर दूर बैठा रौशनी से, रात के साये तले … Read more

बोझ ज़िन्दगी का लेकर के

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** धूल-धूसरित दुर्गम पथ ये जिस पर चलना नहीं गंवारा, बोझ ज़िन्दगी का लेकर के,चलते-चलते मैं तो हारा। पतझड़-सा मौसम छाया है, नीरसता का वातावरण है। कल-कारखानों का गुंजन क्यों ? खामोशी की लिए शरण हैll वीरानी-वीरानी दिखती है,जिधर नजर करती इशारा, बोझ ज़िन्दगी का लेकर के,चलते-चलते मैं तो हाराll घुटन … Read more

मजदूर की व्यथा

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** पैदल चलकर नाप रहे ख़ुद सड़कों की लंबाई, भूखे प्यासे बच्चों के संग मज़बूरी में भाई। नंगे सूजे पैर जल रहे, बिना रुके दिन रात चल रहे। भूख की खातिर छोड़ा था घर, गाँव छोड़ आए थे वो शहर। भूख के कारण अब उनकी है पेट से स्वयं लड़ाई, रक्तरंजित … Read more

सपने

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सपने, सिर्फ सपने कभी नहीं होते, यारों वो अपने। सोच, समझ कर देखो स्वप्न सुनहरे, नहीं रहे अधूरे। भरो, ऊँची उड़ान सपनों के लिए, खुला हुआ आसमान। देखो, रोज सपने हकीकत में पाँव, जमीन पर अपने॥ परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ … Read more

प्रकृति का बिछुड़ना

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** सूरज एक,चन्द्रमा एक धरती सारी बंट गई, प्रकृति की सुंदरता कहाँ जा के छुप गई। बादलों से हो व्रजपात समुन्दर से हो चक्रवात, महामारी बनी महा काल अपनों से सब बेहाल। एक तरफ तो पानी है एक तरफ अनगिनत कहानी, लाचारी ही लाचारी है कुदरत ने ही ढहाई है। सोचा था … Read more

मित्रत्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मित्र वही जो नेह दे,सदा निभाये साथl हर मुश्किल में थाम ले,कभी न छोडे़ हाथll पथ दिखलाये सत्य का,आने ना दे आंच। रहता खुली किताब-सा,लो कितना भी बांचll मित्र है सूरज-चाँद सा,बिखराता आलोक। हर पल रहकर साथ जो,जगमग करता लोकll कभी न करने दे ग़लत,राहें ले जो रोक। वही … Read more

भारत में २ हिंदुस्तान…

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** `कोरोना` के इन ५५ दिनों में २ हिंदुस्तान साफ-साफ दिख रहे हैं। एक हिंदुस्तान वह है,जो सचमुच कोरोना का दंश भुगत रहा है और दूसरा वह है,जो कोरोना को घर में छिपकर टी.वी. के पर्दों पर देख रहा है। क्या आपने कभी सुना कि,आपके किसी रिश्तेदार या किसी निकट मित्र … Read more

न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी से वह मुलाकात…

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ मुम्बई(महाराष्ट्र) *************************************************************** एक बार मैं मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश,गांधीवादी और भारतीय भाषा-प्रेमी न्यायमूर्ति चंद्रशेखर अधिकारी(अब दिवंगत) से उनके आवास पर उनसे मिलने के लिए गया। कुछ औपचारिक बातों के बाद मैंने उनसे कहा,-‘सर,मुझे इस बात पर चर्चा करनी है कि संघ और राज्यों द्वारा बनाए गए विभिन्न कानूनों के … Read more

मजदूरों को गले लगा लो

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** मंजिलों पर बढ़ते कदम,जब लौटने लगते हैं मुड़ के, मेहनतकश हाथ याचना करने लगते हैं जब जुड़ के ऐ मुल्क के बाशिंदों ये समय आ गया है सोचने का, हमें झांक कर ही देखना होगा गिरेबान में खुद के। वृक्षों की शाखाओं पर बैठ,आनंदित हैं हम सभी, इनकी जड़ें मजदूर … Read more