कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
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नवजवान उठ,सर उठा,कदम बढ़ा,
नवभारत पुकारता आज़ हो जा खड़ा।
नवनिर्माण कर,बुराईयों को दूर कर,
अच्छे कर्मों से समाज का उद्धार कर।
अज्ञान का धूल हटा,आँखों में जो पड़ा,
नवभारत पुकारता आज़ हो जा खड़ा॥
आज़ परिवर्तन का बिगुल बज उठा,
नवचेतना का गांडीव हाथों में उठा।
हिमालय-सा सीना तान,हो जा खड़ा,
नवभारत पुकारता आज़ हो जा खड़ा॥
ऊँच-नीच,छुआ-छूत,मिटा भेद भावना,
अभिमन्यु बन चक्रव्युह को है भेदना।
घरभेदी शत्रुओं से अब मुकाबला कड़ा,
नवभारत पुकारता आज़ हो जा खड़ा॥
अंध भक्ति नीति को समाज से उखाड़,
श्रीराम बन कर भ्रष्ट ताड़का को ताड़।
फोड़ दे दीन दुखियों के दुःख का घड़ा,
नवभारत पुकारता आज़ हो जा खड़ा॥
परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”