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वनवास

सपना परिहार
नागदा(मध्यप्रदेश)
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चौदह वर्ष का वनवास,
केवल राम,सीता और
लक्ष्मण ने नहीं झेला…
उनके साथ उर्मिला,भरत
और माता कौशल्या और सुमित्रा
ने भी भोगा वनवास…
अपने प्रियजनों के बिछोह का।
जिसकी पीड़ा,
केवल शब्दों में व्यक्त
नही हो सकती।
वनवास उर्मिला को भी मिला,
पति से विरह का…
भरत को भाई के बिछोह का
और,माताओं को उनके पुत्र का।
चौदह वर्ष का वनवास
आसान नहीं था,
उनके लिए…
जिनके बारे में
कभी कुछ कहा नहीं गया,
कि वे भी वनवास का दु:ख भोगे हैं।
बिना किसी को अपने मन की पीड़ा दिखाए,
करते रहे अपने-अपने कर्तव्यों
का निर्वाह,
इन चौदह वर्षों तक॥

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