राष्ट्रीय चेतना कॆ लिए निजी स्वार्थ का बलिदान जरुरी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राष्ट्रीय चेतना का अभिप्राय(समाज की उन्नति) राष्ट्र की चेतना-प्राण शक्ति समाज से है। राष्ट्र शब्द समाज के अर्थ में ही प्रयुक्त होता है। जिस क्षण समुदाय…

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क्या हश्र हुआ !

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* उनका प्यार पाने की मेरी कोशिशों का कुछ ना हुआ, मेरी मौत पर कहा-लग ही गयी,आखिर बददुआ। मुझे भी करना ही पड़ा,फिर शुक्रिया अदा उनका,…

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प्रधान सेवक का अहं विकास में बाधक

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** एक जमाना था जब कुआँ और तालाब चोरी हो जाते थे,तथा बाँध भी ग़ुम जाते थे और उनकी जाँच होने पर सही होती थी पर वर्तमान…

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मेरा भारत देश सुतंत्र बने

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** मैं वंदन नमन करूं भारत। जग में सबसे सुंदर भारत। यह विश्व में देश महान बने। मेरा भारत देश सुतंत्र बने॥ हिम ढका हिमालय जग…

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दिल से देता हूँ वोट..

जसवंतलाल खटीक राजसमन्द(राजस्थान) ************************************************************* मैं सबको सुनाता हूँ लेकिन,मैं हूँ बहरा किसी की नहीं सुनता मैं ये,आज कह रहा। मैं दिल से देता हूँ वोट,पैसों से नहीं, मेरा वोट है…

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गर्मी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** सर्दी जाती गर्मी आती, शुरू शुरू में यह सबको भाती। स्वेटर रजाई को दूर भगाती, जब वह अपने रंग में आती... सबको वह…

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तुरपाई

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** तीन बच्चों की माँ चन्दादेवी सुबह से देर रात तक कपड़े की सिलाई कर बमुश्किल दो जून की रोटी कमाती। सुन्नू,काकू और अन्नू यही कुछ नाम…

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कत्लेआम

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज भावनाओं का भी देखो ऐसे कत्लेआम होता है। घर में मारकर बीबी को वो, बाहर खूब जोर से रोता है। ऐसे कत्लेआम... बेटी…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-९ विधि को सुखद लगी यह जोडी, उसने आँखें चार करायीं यह कैसा संयोग अजब था, नजरें भी तलवार बनायीं। लगीं काटने वे…

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श्रीलंका के आतंकी विस्फोटों से जुड़े सवाल

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* श्रीलंका अपनी शांति और मनोरमता के लिये नई इबारत लिख ही रहा था कि वहां हुए सिलसिलेवार शक्तिशाली बम विस्फोटों एवं धमाकों केे खौफनाक तथा त्रासद…

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