चरित्र निर्माण को समझो

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** चरित्र निर्माण को समझो, पर्वतारोहण के समान,अशुद्ध विचार विघ्न बनकर, मचाएंगे बड़े तूफान। अपवित्र विचारों को यदि, अवसर दिया आने का,काम सदा करेंगे वो, नैतिकता से…

0 Comments

हर यौवन की कहानी होती है…

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** यह एक संसार है,बहुत बड़ा बाजार हैउछलकूद करते हैं यहां लोग,परिश्रम से नहीं डरते हैं लोगइतिहास मगर इसके पीछे रहता है कुछ यहां,परिस्थितियों की कीमत चुकानी पड़ती है यहांइसके…

0 Comments

वाह रे! ओ खुदगर्ज इंसान

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** वाह रे ओ खुदगर्ज! चौरासी श्रेष्ठ इंसान,मैं हूँ इंसान बस, मैं ही रहूंगा जिंदानिरीह प्राणियों की, बलि चढ़ा कर,क्यों करता है इंसानियत को शर्मिंदा ? हिन्दू-मुस्लिम…

0 Comments

केसरिया…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** अम्बर अवनि एक रंग रंगे तय भोर भये केसरिया,सागर सरवर को नहलाए यह साँझ ढले केसरिया। चोला बसंत बहार पहने रंग यही हलके गहरे,ऋतुराज सदा तरकश भरकर,…

0 Comments

मायने ही बदले

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** इस रंग बदलतीदुनिया मेंआज आदमी भी,स्वार्थपरता के रहतेगिरगिट की तरह,पल-पलबदल रहा है रंग। माना परिवर्तनप्रकृति का नियम है,पर आज आदमीछोड़ कर,अपने पूर्वजों केसंस्कारों की धरोहर,अपना रहा हैआधुनिकता…

0 Comments

राग मल्हार

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* राग मल्हार छिड़ा,सावन की गुजरियाबरसे छम-छम है बदरिया,धरती ने ओढी़ हरी चुनरकिसलय पे दमके मोतीदेखो जी सांवरिया। नाचे ये लख सावन बूँदें,मोरनी भई बावरियासोंधी माटी…

0 Comments

सेवानिवृत्ति…आगाज

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* सफलता यूँ ही नहीं मिल जाती है,प्रसिद्धि यूँ ही नहीं मिल जाती हैकठिन परीक्षा से गुजरना होता है,अपने बल पर भरोसा करना होता है। कई मुश्किलें…

0 Comments

नीली छतरी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नीली छतरी-सा,खुला आसमानपंछियों का कलरव,समेट लियाअपने आगोश में।सूर्य की पहली किरण,बादलों को चीर करधरती पर आती,धरती पर ऊर्जासमाहित हो जाती।सूरज और चाँद,बिखेरते रहे रोशनीआकाश और धरती परये…

0 Comments

संवेदना खो गई

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** अरे भाई,न जाने इस भूपटल पर,क्यों आज संवेदनाएं खो गई है ?विकल-व्यथित है बच्चा-बच्चा,समूची मानवता क्यों रो रही है ? मानव-मानस में सिर्फ स्पर्धाएं रह गई,सारा…

0 Comments

भिखारिन

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** एक भिखारिन,चीथडों में लिपटीकोने में सिमटी,मांग रही थी भीखआने-जाने वालों को,सुखी रहने कीदे रही थी सीख। मैंने पूछा,-हष्ट-पुष्ट लगती होफिर भी,भीख मांग कर खाती हो। वो कुछ…

0 Comments