मन तेरे क्या आए…!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** ककोड़े दो सौ के पाव हो गए,नहीं जिनका कोई भावकान्हा हमरे अब तो जन्म ले,रख हमसे जरा लगाव। 'अजस्र' आस्था क्योंकर बिकती,तुच्छ स्वार्थों मोलईद,…

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जीवन के संग्राम बहुत

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ द्वन्द्व करूं क्या अधम मृत्यु से,जीवन के संग्राम बहुत हैं।क्षण-क्षण आते आँधी-पानी,पल-पल उठते यहाँ बवंडरचाहों की उपजाऊ बगिया,बनती रेगिस्तानी बंजर।कितने सपने आतप देंगे,एक सूर्य के घाम बहुत है॥…

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एहसास

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** न जाने क्यों ?दिल में आजहलचल-सी मचने लगी है,पथराई-सी निगाहेंकिसी को देखने के लिए,हठ करने लगी है। ये कैसा एहसास है,प्यारा-सा, मीठा-सामर्म को भेद रहा है,ऐसा लग…

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हुआ विसर्जन

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* दस दिन की पूजा-अर्चना के बाद,श्रीगणेश जी का हुआ विसर्जन। सबने दूर कर लिया संकट अपना,पूरा हुआ बहुतों का आज सपना। सबने मांग ली…

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धूप-सा जलती रहती

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** धूप-सा जलती रहती पर जग को करती सुगन्धित,ऐसे ही रानी कैकेयी की कथा हुई है प्रचलित। राम राज्य की सुकल्पना से, कैकेयी थी प्रमुदित,तभी मंथरा के आगमन…

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बापू को नमन

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह दिल से निकली,भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुएनर श्रेष्ठ को आभार है,जन-जन को दिया जाने वाला,अन्तर्मन से निकला सम्मान देने वाली ताकत बनकर,हृदय तल से दिया गयाअद्भुत और प्रेरणादायी…

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ये दस्तूर

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** नए साथी केमिलने के बाद,पुरानी मोहब्बतअक्सर जी का,जंजाल लगनेलगती है और…तब शुरू होता हैउसी आशिक कोनीचे गिराने,ऐब गिनाने,गलत बोलने कादौर, जिसके लिएकभी जान तकदे…

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सहसा उछली एक बूंद

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* देखी मैंने एक बूंद,सहसा उछली पानी से दूरमिल गई अचानक वह,भरे बर्तन में हो गई भरपूर। जब उछली मोती की तरह,चमकी वह पानी की बूंदसिमट गया…

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कमजोर न समझो

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** कमजोर न समझोइस हाड़-माँस की काया को,लहू जवानी-सा इन रगों मेंआज भी उफनता है,करने पड़े जो दो-दो हाथबुलंद बाजू और हौंसला,आज भी रखता हूँ। डाले…

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क्यों फैला कर प्रदूषण !

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** वह गरजता बादल नभ में, मानो जग से यह बोल रहा हैक्यों फैला कर प्रदूषण पगले, नाहक आफत ले मोल रहा है ? गंदला कर पानी,…

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