पर आप तो…!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** डर लग रहा है…!हाँ…!! लग रहा हैडरपोक हो……!हाँ…हूँ,….!!!!!क्योंकि,….!!बाल बच्चेदार जो हूँ..!!जिम्मेदारियाँ हैं…!!अभी कई मुझ पर…,आंदोलन नहीं कर सकता…क्रांति का…। क्रांति की तो,सोच भी नहीं…

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पहाड़

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पेड़ों की पत्तियाँ झड़ रही,मद्धम हवा के झोंकों सेचिड़िया विस्मित चहक रही,वसंत तो आया नहीं। आमों पर मोर फूल की मद्धम खुशबू,टेसू से हो रहे पहाड़ के…

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अद्भुत मसीहा निकला

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** उत्तर प्रदेश का मुगलसराय,जनम लिया भारत का लालपिता शारदा प्रसाद जिनके,राम दुलारी के थे छोटे बाल। निर्धन घर में जनम लिया पर,बन गया जन-जन का प्यारादिल का…

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मोक्ष प्रदायिनी काशी नगरी

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी,पुण्यमयी पावन गंगा-सी गहरीविश्व ज्ञान अभिमान सुनहरी,विंध्याचल माता हैं ठहरीमंडन मिश्र की विद्वता भरी गगरी। आदि गुरु शंकराचार्य की ज्ञान की…

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दरकती है दीवार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* घर हो या झोपड़ी, मान्यता,है बड़े-बुजुर्ग वृद्धजनों कीअभाव नहीं होता है, सुखी,जीवन ज्ञान भरे धनों की। सुख-वैभव का एहसास,होता है उनके संग रहने सेचिंताएं दूर होती…

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अप्रतिम अवतार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** मोहनदास गाँधी जयंती विशेष... बापू बेमिसाल थे,अतुलनीय आभार थेबेजोड़ कह सकते हैं,ना-बराबर अवतार थेलाजबाव और अप्रतिम रूप में,सबका बड़ा प्यार थेफकीर के अवतार में,उन्नत और सुसंस्कृत खोज थेनया इतिहास…

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एक था गाँधी…

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मोहनदास गाँधी जयंती विशेष... एक था गाँधी,अहिंसा की आँधीपोरबंदर से निकला,दुनिया में छाया। सत्य इनको भाया,अहिंसा को अपनायाभरी जब हुंकार,अंग्रेज भी थर्राया। बढ़ाया हाथ,बुलाया साथजगाया…

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महापुरुष को नमन

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* लाल बहादुर शास्त्री जयंती विशेष... दो अक्तूबर सन् उन्नीस सौ चार साल,गरीब परिवार में जन्मे बहादुर लाल। मात्र डेढ़ वर्ष की आयु में हुए…

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जी लूं मौत न आने तक

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** मौत आने का,इंतजार ही क्यों! जन्म के साथ जुड़ी हैएक बे-वक्त की कड़ी,जो जिंदगी केसाथ है और बाद भी,मौत जो अमूक हैऔर सचेत भी,कुछ मौतें अनायासतो कुछ…

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मन तेरे क्या आए…!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** ककोड़े दो सौ के पाव हो गए,नहीं जिनका कोई भावकान्हा हमरे अब तो जन्म ले,रख हमसे जरा लगाव। 'अजस्र' आस्था क्योंकर बिकती,तुच्छ स्वार्थों मोलईद,…

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