बोल रहा है कागा

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* ऊँची-ऊँची मंजिलों पर,बैठकर बोल रहे हैं कागेपितृ पक्ष में सब, देव पितरण,सोए थे, अब नींद से जागे। ढूँढ रहे हैं धरा पर पितरणअपने-अपने सभी कुल वंशसब…

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दुविधा

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** सोचता हूँ एक,करता हूँ एकबात सीधी है जी,दिमाग-दिलदोनों नहीं एक…। असमंजस में पड़ा,हैरान हो जाता हूँतू ही बता दे दोस्त,क्या करना होगा मुझे…? सवाल है मन में,मचा है…

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करार दिया करो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* बे-करार दिल का करार हो, तो करार दिल को दिया करोये नसीब था कि मिले हो तुम, तो बने बहार रहा करो। हो तुम्हीं तो…

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भारत की तकदीर बनाएं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ आओ कर की रेखाओं से,एक नयी तस्वीर बनाएं,अपनी तकदीरों से हम सब,भारत की तकदीर बनाएं। आओ इसे बना लें उपवन,पुष्पों जैसे हम-तुम लहकेंबढ़े हमारी इतनी खुशबू,हम सारी दुनिया…

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संतोष हो

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** इच्छा नहीं मेरी आपसे अलग ख्याति हो,आप भीड़ में पहचान लें, तो संतोष हो। रिश्ते अपनापन जताकर पराया करते,आप पराए को अपना लें, तो…

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अहिंसा मौन श्रवण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मानव धर्म मुदित जनजीवन, सत्य अहिंसा मौन श्रवण था,अप्रिय निंदनीय असत्य वचन, गांधी वानर त्रय चिन्तन था। सदाचार संस्कार निमज्जित, दया क्षमा करुणामय मन…

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मन है उड़नखटोला

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* श्रीकृष्ण कहते हैं हर मनुष्य, का 'मन है उड़न खटोला'सफ़र का स्थल है जगत में,जहाँ पाप-पुण्य का लगता मेला। साधु हो या गृहस्थ, ले जाता,है 'मन…

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पिता

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** आओ समझें कौन है पिता ?क्या और कैसे होते हैं पिता ?पिता ही हैं हमारे घर के ताज,इनसे ही सुरक्षित हैं हम आज। पिता है…

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मुश्किल सत्य डगर पर चलना

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* कदम-कदम कितने अवरोधें,हँसे कभी हम यूँ ही रो देंपग-पग मुश्किल पेंग बढ़ाएं,कभी चैन से जीने ना दें। कितना मुश्किल है जीवन में,राह रोकती किसकी आहेंकोई साथी…

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ये नीला आकाश…

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** ये नीला आकाश,कितना विशालकितना विस्तृत,फिर भी है क्यों उदास ?ये नीला आकाश…। असंख्य तारों औरचन्द्र के हैकितने पास,ये नीला आकाश…। पंछी करते हँसी-ठिठोली,प्रेम से बोलें मीठी…

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