सुहाना पागलपन

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** वह निहारती है तो मैं नजरें झुका लेता हूँ, वह हया के परदे में सिमट जाती है जब मैं उसे एकटक देखता हूँ, शबनम-सी लरजती अंतर्मन से प्रस्फुटित होती, भावनाओं का कोमल स्पर्श मदहोश करती अभिलाषा, आँखों से नूर बनकर टप-टप टपकती है, पर खामोश। थरथराते हैं होंठ करने लगता … Read more

वो मिले कहीं तो कहना बात बेचता हूँ…

दीपेश पालीवाल ‘गूगल’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************** घूम-घूम नगर-नगर अपनी हसीं रात बेचता हूँ, और वो मिले कहीं तो कहना,बात बेचता हूँ। अगर भुखमरी है देश में रहने दो,मुझे इन सबसे क्या, मैं तो घूम-घूम मन्दिर-मस्जिद अपनी जात बेचता हूँ। वो मिले कहीं तो कहना,बात बेचता हूँ… वो क्या सोचते हैं बारे में मेरे,मुझे इसकी परवाह … Read more

भारत माँ की वंदना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** हे भारत भूमि महान, तुझे हम करें कोटि प्रणाम। निर्मल पावन इस आँचल में, हे माँ तुझे प्रणामll भारतमाता जग विख्याता, तेरा वंदन अभिनंदन। जग में ऊंचा नाम रहेगा, हो युग-युग तक जग वंदन। विश्व गुरू की कीर्ति पताका, रहे सदा सम्मानl हे भारत भूमि महानll तुझसे ही निर्माण हुआ … Read more

वह सफाईवाली

सुरेश चन्द्र सर्वहारा कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** नई-नई ब्याहता वह सफाईवाली, घूँघट निकाले आई है करने सड़क की सफाई, सकुचाती शरमाती अपने में सिकुड़-सिकुड़ जाती, उठाती घरों से कचरा देख रही, वर्ग-भेद की गहरी खाई। कड़ी धूप में पड़ रही देह काली, सर्दी में हो उठी त्वचा रूखी-सूखी खुरदरी, बरसात में भीगकर चिपक गये हैं कपड़े तन … Read more

अब भी बचा लो जिंदगी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… मैं हूँ धरा संसार का, मुझमें समाहित सकल निर्झर सरित् पर्वत सप्त सागर, महदारण्य सें हूँ परिपूरित जीवन दातृ पालक सम्पोषिका, धरित्री ऊर्वरा शस्य श्यामला निज आँचल में समेटे चराचर, हूँ अनंत गह्वर दीर्घतर हूँ शान्ति ममता करुणापूरित, देव दानव मनुज इतरेतर भूतगण … Read more

हमारी धरणी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… करोड़ों वर्षों पूर्व ब्रह्मांड उत्पन्न, गौरवशाली पल हमारी धरणी। सृष्टि का सुंदरतम् निर्माण, अदभुत हमारी है ये धरणी। विभिन्न लुभावने रूपों वाली, जीवनदीयिनी सदा है धऱणी। गर्भ में रखे अनमोल रत्न, जीविका देती है सदा धरणी। पालती जीव-जंतु,मानव को, पालनहार है हमारी धरणी। … Read more

कुछ तो कमी रहेगी

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ हर नामी में कुछ कमी तो रहेगी, आँखें थोड़ी-सी शर्माती रहेंगीl जिंदगी को आप कितना भी संवारिये, बिना हमारे कोई-न-कोई कमी तो रहेगीll खाली हाथ आप आये थे संसार में हज़ूर, खाली हाथ आप जायेंगे संसार से जरूरl संसार में रहकर,बातचीत न करके आप, कितनी चिल्लर संसार से बचाएंगे हजूरll कभी … Read more

पृथ्वी के मुख पर कालिख़

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… जब मैं जन्मी, पूरी की पूरी पृथ्वी मेरे इर्द-गिर्द थी, पहाडों से फूटते झरने सरसराते पेड़ों से लिपटी लताएँ, खिलखिलाते अनगिनत फूल घनघोर बरसती हुई बारिश और हवा ने, मेरी नन्हीं-नन्हीं हथेलियों को चूम लियाl बचपन की हर सुबह, मैदानों में होती थी … Read more

हरी-भरी हो धरा

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… लो संकल्प- हरी-भरी हो धरा, नहीं विकल्प। एक ही नारा- प्रदूषण मुक्त हो, देश हमारा। बीमार मन- उगे चारों तरफ़, कांक्रीट वन। कटते वन- बंजर धरती से, दुःखी है मन। एक ही दवा- पेड़-पौधों से मिले, शीतल हवा। पृथ्वी बचाओ- स्वस्थ और सुंदर, … Read more

धरा

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरा करती श्रृंगार, देखो वर्षा की फुहार हरियाली हर ओर, धरती हरियाई। छाई है देखो बहार, नाचता है मन मोर हो गई सुहानी भोर, धरा खिलखिलाई। कोयल की मीठी तान, पपीहे की देखो शान कामदेव छोड़े बान, रति भी मुस्कुराई। घनघोर घटा छाई, मोरनी नृत्य … Read more