आँख उठाने की जुर्रत मत करना

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** उत्तुंग शिखर नीरव हिमालय की वादियाँ,भय खाकर कोलाहल से घबराती हैये टोली दर टोली भीड़ उमड़ती,हिमालय में क्या करने आती है ? सरहदी सीमाओं को आज…

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बेल पत्र करिए अर्पण

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* श्री शिव से बड़े कोई नहीं हैं भैया,शिव बिना कोई ना पार करे नैयाकभी न भूलना, शिव हैं पालनहार,परम सत्य है, शिव करते हैं उद्धार। जो…

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पक्षियों की पीड़ा

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** पंछी उड़ते नील गगन में, वृक्षों पर उसका डेरा है,भटक रहे हैं इधर-उधर वे, मानव बन गया लुटेरा है।पंछी घटते नित्य धरा पर, यह कैसा कलयुग आया-मानुष…

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बारिश…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** बारिश का आनाकोई इत्तेफ़ाक नहीं है,बारिश बहुत सोच-समझ कर आती है।वर्षों से प्रेम का ताप सह रहेप्रेमी युगल को,ठंडक पहुंचाने के लिएबारिश आती है।धरती का चेहरा…

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विश्व शांति का मूल मंत्र ‘अहिंसा’

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** आदि मानव अज्ञान में जन्मा, थी प्रति हिंसा,ज्ञान कुछ बढ़ा तभी, अनुभूति से मिटा हिंसाउनकी भूख तृप्ति भोजन में तब रही थी हिंसा,भावों में चढ़ा…

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केवल एक काम करना

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* तुम्हें किसी भी पौधे कोरोपने की जरूरत नहीं,वृक्ष अपने आप ही उग जाएंगेकेवल एक ही काम करना,उस वृक्ष को तुम मत काटनाजंगलों में आग मत लगाना।…

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नदियों का रूदन

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यहाँ मेरी तनहाई,मुझे रूला रही हैकोई मदद करने वाली,संग साथ नहीं आ रही हैकल-कल मैं बहती थी,आज़ मृत्यु शय्या पर हूँछोटी-छोटी नदियाँ,आज़ बस औपचारिकताएं पूरीकरते हुए दिखाई दे रही…

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धूम मचाती वर्षा ऋतु

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धूम मचाती जल बरसाती, वर्षा रानी आई।आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई॥ वसुधा की सब प्यास बुझ गई, हुआ आज मन हर्षित,मौसम में खुशियों…

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गुरु महिमा अतिगहन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नमन आज गुरु पूर्णिमा, ज्ञान बुद्धि आलोक।सुख वैभव पा कीर्ति जग, मिटे सकल मन शोक॥ मातु-पिता भाई समा, मीत प्रीत गुरु होय।सदाचार परहित विनत,…

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एक बार तो सुनो तुम

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** क्या कहना है मेरा,एक बार तो सुनो तुमसुख का क्या, गम को भी,बांट लेते हैं हम। जिंदगी के बोझ सारे,अकले ही ना सहो तुमबडा कठिन होता है सहना…

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