दिनकर नया उजाला लाया

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** नया उजाला-नए सपने... खुली पलकें, सुबह हुई,मन ताजगी से भर आयादेखो, इंद्रधनुषी छटा बिखेरे,दिनकर नया उजाला लाया। चंचल पवन बावरी बनी,खुशी से मन भरमायाचलो, आज कुछ नया…

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आभा से भरा रहे हर पल

इं. हिमांशु बडोनीपौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)********************************* नया उजाला - नए सपने... आशा की आभा से भरा रहे, नववर्ष का हर पल,नए उजाले-नए सपनों संग, बीते आज व कल। ख़ूब फूले-फले सम्मान,…

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शीत लहर

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* अनेक ऋतुओं से सजी प्रकृति से है संसार,आए दिसंबर जनवरी में शीत ऋतु हर बार। रंगों की छटा मनोहर, गुलाब पुष्प पीले लाल,और कहीं पेड़-पत्ते…

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बन्दगी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ तेरे ही ख्यालों की, बन्दगी करते रहे,यह न सोचा कि, न रहेंगे हमेशा ही साथ हम। तेरी हर साँस की, धड़कन को समझने लगे,यह न सोचा…

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पूजे गणतंत्र सर्व

पायल अग्रवालमुजफ्फरपुर (बिहार)******************************* भारत का संविधान, करते हम आज मान, बनता है देश शान, न्याय सभी पाते।लाल किले साज बोल, सबके दु:ख गांठ, खोल, भारतीय मान मोल, राष्ट्रगान गाते॥ देख…

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सोने की चिड़िया

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हम भारत के वासी हैं, जिसे सब हिन्दुस्तान कहते हैं,भारत है 'सोने की चिड़िया', देखकर अन्य देश जलते हैं। आओ मिल के करें प्रतिज्ञा, सोने की…

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नई पीढ़ी के संस्कार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** मातु-पिता परिवार दें सदा,शिक्षण बाल अबोध समझ लोसंस्कार जीवन विनयी हो,मिटे सकल अवरोध, समझ लो। मातु पिता गुरु चरण भजो नित,जो जीवन आधार समझ…

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भेद लक्ष्य

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** कर संघर्ष,भेद लक्ष्य संसार-मिलेगा अर्श। डरना भूल,नाव उठा हौंसला-बना उसूल। रखना ध्यान,सफल जब श्रम-मिलेगा मान। टाल अभाव,उम्मीद राह नई-निभाना भाव। बढ़ना आगे,बढ़ चिमनी विश्व-मुश्किल भागे। ख्वाब मंजिल,फिक्र…

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शिशिर की शरारत

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** पालो की चादर ले, कोहरे ओट से,झाँकती थरथराती आयी शिशिर। सिहराती कंपकपाती सहलाती है,हिम छू आती समीर मदिर-मदिर। बोध को भेदती चेतना को छेड़ती,सविता की ताप हुई…

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भरोसा क्या करूँ

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* जैसे हो इन्कार तक पहचान से।देखते हैं इस तरह अन्जान से। कैस से आबाद थे जो कल तलक,दिख रहे हैं दश्त वो वीरान से।…

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