कायदा तो है नहीं

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** बढ़ रहे हैं भाव लेकिन फायदा तो है नहीं। भेड़ की हम चाल चलते कायदा तो है नहीं। बस गिरे औ उठ रहे हैं आज शेयर देख लो, अब रहा बाज़ार में वह वायदा तो है नहीं। लेप कर सौन्दर्य साधन सज रही हैं यौवना, मान को जो मान देती वह … Read more

जगमगाना चाहता हूँ

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** नफ़रतों के दर हिलाना चाहता हूँ। मुल्क को फिर जगमगाना चाहता हूँ। दिल नहीं हरगिज़ दुखाना चाहता हूँ, वो मनायें,मान जाना चाहता हूँ। जश्न सारे ही मनाना चाहता हूँ, गीत,ग़ज़लें खूब गाना चाहता हूँ। मैक़दे की चाभियाँ दे दीं सभी यूँ, ज़र्फ़ उनका आज़माना चाहता हूँ। थक … Read more

नून रोटी रोज़ खाते रह गए

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** नून-रोटी रोज़ खाते रह गये। पर कलम यूँ ही चलाते रह गये। इससे अच्छा हम चलाते फावड़ा, गीत ग़ज़लें ही बनाते रह गये। तालियों से भूख मिटती है नहीं, मुफ़्त में कविता सुनाते रह गये। सो गये बच्चे बिना खाये मगर, काफ़िया हम तो मिलाते रह गये। चिटकुलों का … Read more

देशहित में वो लीन हर पल

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भारत की पहचान हैं मोदी। भारतीयों की शान हैं मोदी। देशहित में वो लीन हर पल, शत्रुओं के शमशान हैं मोदी। नमो-नमो हो रहा है चूंकि, समय का वरदान हैं मोदी। बिना युद्ध के तोपें चल गईं, सेना का अभिमान हैं मोदी। गरीबों का मन मोहा उसने, … Read more

जरूरी है…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** आम को अब ख़ास होना भी जरूरी है। इसलिए अब आज रोना भी ज़रूरी है। सब मिले खैरात में मुमकिन नहीं शायद, कर मशक्कत बोझ ढोना भी जरूरी है। काटना है फ़सल ग़र इंसानियत की तो, फिर लहू से सींच बोना भी ज़रूरी है। ग़म जहां के भूल सपने देखना … Read more

जाल में फँसा खुद आदमी

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आदमी क्यों आदमी से दूर है, स्वार्थ के हाथों बहुत मजबूर है। मोह में फँसकर महाभारत रचा, फल मिला तो क्यों गमों में चूर है। प्रकृति का शोषण किया सोचे बिना, घिर प्रदूषण में हुआ बेनूर है। बेटियों को मारता था गर्भ में, गैर की बेटी उसे मंजूर है। जाल … Read more

अँधेरों को निगलते जा रहे

लक्ष्मण दावानी जबलपुर(मध्यप्रदेश) **************************************************************** खुशी के दीप जलते जा रहे हैंl हरिक मंजर बदलते जा रहे हैंl जला कर दीप दीवाली के यारों, अंधेरों को निगलते जा रहे हैंl बिछा के आँखें अब स्वागत में माँ के, दिल-ऐ-अरमां महकते जा रहे हैंl बसा कर प्रेम अंतर मन में अपने, रंगों में माँ के ढलते जा … Read more

गर ज़हीन है तो है

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** आदमी गर ज़हीन है तो है। सबको उस पर यक़ीन है तो है। सोचता वक़्त से बहुत आगे, सोच उसकी नवीन है तो है। तर्क गढ़ता नये-नये हर दम, ज़ह्न उसका महीन है तो है। आदमी कर जमा समाज बना, आदमी पुर यक़ीन है तो है। दूर … Read more

इश्क़ अंज़ाम

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२) याद आएं अगर एक पैगाम दो, नाम लेकर मेरा इश्क़ अंजाम दो। प्यार में जब कभी तुम तड़पने लगो, हिचकियों को सदा तुम मेरा नाम दो। छोड़ दो क्या जमाना कहेगा यहाँ, दिल सुकूँ जो मिले वही जाम दो। हम तुम्हें चाहते इस कदर हैं … Read more

बेवफा

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** बेवफा मुझको बता रहे हो, अपनी कहो क्या छुपा रहे हो। मेरी वफाओं को भूल कर के, जहर यह कैसा पिला रहे हो। इंतहा की हद हो गई थी, कह कर गए थे कल आ रहे हो। बेवफा कहना आसा बहुत है, अपनी वफा क्या निभा रहे हो। बेवफा … Read more