अनहद नाद
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये माना,किंतु बिछड़ने से पहले,गीत मिलन के गाओ जिससे, पीर विरह की मन सह ले।कल आँसू हों सस्मित मेरे,सुधि ऐसी दे जाओ ना,जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम … Read more