माँ…तुमने दीप जलाया है

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है।गुणी नहीं हूँ फिर भी माते,तुमने कंठ लगाया है॥ ठोकर पथ पर लगी,पकड़कर,तुमने सदा उठाया माँ।निद्रा भगा नयन से मेरे,मुझको सदा जगाया मांँ॥ शूल छाँट कर पथ से मेरे,तुमने सदा सजाया है।मेरे अँधियारे पथ पर माँ,तुमने दीप जलाया है॥ तीर बहुत फेंके रिपुओं ने,तुमने फूल … Read more

उस पार जाना चाहता हूँ

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* काव्य रूपी नाव ले उस पार जाना चाहता हूँ।शब्द की पतवार से सागर हराना चाहता हूँll गद्य रूपी पंक्तियों को तोड़कर कविता बनायी,रेत में डूबी नदी को खोद कर सरिता बहायी।जोड़ अक्षर के सहारे,तोड़ लाया चाँद-तारे,जिंदगी के इस किले को यूँ सजाना चाहता हूँllशब्द की पतवार से सागर हराना चाहता हूँ… … Read more

अनहद नाद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये माना,किंतु बिछड़ने से पहले,गीत मिलन के गाओ जिससे, पीर विरह की मन सह ले।कल आँसू हों सस्मित मेरे,सुधि ऐसी दे जाओ ना,जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम … Read more

जय जननी जय हिंदी भाषा

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** जय जननी जय हिन्दी भाषा,तू ही जन-जन की अभिलाषा। तेरा पहला अक्षर होता, नव जन्मे शिशु का पहला स्वरप्रथम ध्वनित होता तेरा ही,अक्षर जीवों की जिह्वा परlतू ही व्यक्त करे जीवों के,अन्तर्मन की गहन पिपासाllतू ही जन-जन… तू भारत की शक्ति सम्पदा,तेरे बिना न चलता जीवनतू अभिव्यक्ति मनुजता की है,तेरी लिपि है अति … Read more

मैं नदिया बनकर

मिथिलेश बड़गैंयाँजबलपुर(मध्यप्रदेश)********************************* काव्य संग्रह हम और तुम से… मानो कोई सखी पुरानी,आ जाए मन की बतियानेlसाँझ ढले फिर याद तुम्हारी,आकर बैठ गयी सिरहानेllयादों की बारात देखकरएकाकीपन नहीं ठहरता,झिलमिल तारों की चुनर लेनीलगगन से चाँद उतरताlमुझे एकटक तकता रहता,मुझसे मेरा रूप चुराने…l दिवस मिलन के बड़े सुखद थेबातें होती थीं दिन-रैन,पंख लगाकर गुजर गए जोले गए … Read more

सुरमई शामों के साए

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ‘गिरीश’भोपाल(मध्यप्रदेश)************************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से तुम बिन सुरमई शामों के साए, लाओ,मैं चुन-चुन कर उन्हें सजा दूंगा।तुम सिसक-सिसक आहों के गीत गाओ,मैं अश्कों का संगीत बहा दूँगा॥ मधुबन के झुलसे सायों में,बीते वसंत की सूनी बाँहों में।तुम चुन-चुन आशाओं के दीप जलाओ,मैं साहस की ज्योति जला लूँगा॥तुम बिन सुरमई … Read more

शहीदों को नमन

डॉ. जमील अहमद ‘शाद’मेरठ(उत्तरप्रदेश)*********************************** सौ-सौ मस्तक झुके हैं नमन के लिए।मिट गये हैं जो अपने वतन के लिए।ऐसे वीरों को हम भूल सकते नहीं,रक्त सींचा जिन्होंने चमन के लिए॥ अपनी आज़ादियां इतनी सस्ती नहीं,ख़ूं जहां न बहा,कोई बस्ती नहीं।जलियां वाला भी हम भूल सकते नहीं,कितनी लाशें पड़ी थी कफ़न के लिए॥सौ-सौ मस्तक झुके हैं… धरती … Read more

पाऊँ तेरा प्यार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से…. पावस में मन मेरा कहता,पाऊँ तेरा प्यार।तरस रहें हैं नयना मेरे,देखो यह श्रृंगार॥ पावस मेरा हृदय जलाती,आओ प्रियवर साथ।हृदय भाव को समझो मेरा,दो हाथों में हाथ।तन मन व्याकुल तड़प रहा है,होवे कब दीदार।पावस में मन मेरा कहता,पाऊँ तेरा प्यार…॥ नीर नयन झर-झर बहते हैं,हृदय मिलन … Read more

प्रणय गीत

अनुराधा पाण्डेयनई दिल्ली***************************** काव्य संग्रह हम और तुम से….. नैन भर बस बोलते थे,पावनी थी प्रीत कितनी ?मौन हम भी,मौन तुम भी॥ एक-दूजे को बसाए,नित रहे द्वय धड़कनों में।कल कहेंगे,कल कहेंगे,रह गए हम उलझनों में।अंत तक पर बँध न पाई,देह परिणय बंधनों में।अन्य ने कर जब गहा था,थी घड़ी विपरीत कितनी ?मौन हम भी,मौन तुम … Read more

घुंध ने धरती ढकी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आढ़ती के जाल में क्यों पूत धरती के जड़े हैं।धुंध ने धरती ढकी है,मेघ औंधे मुँह पड़े हैंll वो भला कैसे पढ़ेंगे पेट का भूगोल मेरा,आढ़ती कैसे लगायेगा फसल का मोल मेरा।देश को अस्थिर बनाने आ गये चिकने घड़े हैं,घुंध ने धरती ढकी है,मेघ औंधे मुँह पड़े हैं…ll देश की सरकार … Read more